________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गुणन ।' पहिले गुणनफल के दूसरे केवन पद के नीचे से दूसरा गुणनफल लिखो फिर उस के भी दूसरे केवन पद के नीचे से तीसरा गुणनफन्न लिखा इसी भांति हर एक गणनफल उस के पहिले गणनफल के दूसरे केवल पद के नीचे से लिखा यो लिखने से प्रायः सजातीय पदों के नीचे सजातीय पद पाते हैं उस से योग करने में बहुत श्रम नहीं होते। न्यास। अ२-३ प्रक
अ-२ क अ-३ अक = (अर-३ अक) अ __ -२ अक+६ अकरे = (अ२-३ अक) (-२क)
अ-५ अक+६ अकरे - (२-३ अक)४ (-२क) । उदा० (६) या+घर+या+
यर- यर + य++या+यर -य -य -य -यर
+AT+Ari+यर + य+या+या+र उदा० (७) +२ +३ग
अ-२क+५स अ+२ अक+३ अग -२ क-४ -६कग
+५ अग+१० कग+ १५ गरे अर-४क+अग+कग+ ५५ गरे उदा० (८) अय + गय-च
कयर-घय-छ अभय + कगय - कचयर -अस्य-गधय+घचय
-अजय-गछय+चछ अक्रय + (कग-अघ) य३-(कच+गघ+अछ) य+(च-गछ) य+चक
-
-
-
-
For Private and Personal Use Only