________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
३६
भागहार ।
में हो और उस से भित्र उसी अन्तर का घात भानक में भी हो तो उन दोनो घातों को बैंक के अधिक घात जिस स्थान में होगा वहां उसी अक्षर का वह घात लिख देना जिस का घातमापक उन छेके हुए दो घातों के घातमापकों के अन्तर के समान हो * ।
www.kobatirth.org
भाज्य भाजकों के चिह्न सजातीय हों तो भजनफल धन होता है और विजातीय हों तो ऋण होता है ।
उदा० (१) १२यस इस में ३यर इस का भाग देओ ।
न्यास |
१२यर स
३८
उदा० (२) - १५ क इस में - कर इस का और २० कम इस में - ५क इस का भाग देओ ।
न्यास ।
१५ क
५२
४ अग ।
३ क
५ क
९ अकर दूसरा प्रकार | जब भाज्य संयुक्तपद और भाजक केवलपद है । (२) रीति । पहिले प्रकार से भाज्य के प्रत्येक केवलपदों में भाजक का भाग देओ ।
- ४र स ।
+ इस की युक्ति यह है
उदा० (१) १२ क- १८१६ करे इस में ६ क इस का भाग देओ ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
* इस में जो भजनफल जानने के लिये रीति कही है यह सब भाज्य भाजकों में अपवर्त करने का प्रकार है । और भाज्य भाजकों में अपवर्त करने से भजनफल में अन्तर नहीं पड़ता इस की युक्ति सातवीं प्रतक्ष बात से तुरन्त मन में बैठेगी।
+ अक + क
अक ...
और
- श्रक
: (अ) x + क)
और : ( अ ) x ( - क) = + अक ..
: ( + अ ) x + क) = + अक ..
२० कम
श्र
+ अक
- प्र
= + क, और
For Private and Personal Use Only
अक + क
G
-
क यह उपपत्र हुश्रा
1
= + क