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२२
कोष्ठ ।
२५ । अनुमान १ । धन चिह्न से जुड़े हुए कोष्ठ में किसी पद को लिखने से उस का मोल बिगड़ता नहीं । और ऋण चिह्न से जुड़े हुए कोष्ठ में किसी पद को लिखने से उस पद में जो केवल पद होंगे उन सभों के धन ऋण चिह्न को पलट देने से उस पद का मोल नहीं बिगड़ता ।
जैसा, अ + श्क- ३ग + ५घ
1
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+ (श्क - ३ग + ५घ)
=अ+श्क + (-- ३ग + ५घ)
।
और २-३क- ५ +घ २ - ( ३ क + ५ग -घ)
= २-३क (५ग -घ) 1
२६ । अनुमान २ । कोष्ठ का धन ऋण चिह्न पलट के जो उस के भीतर के सब केवल पदों के धन ऋण चिह्न को भी पलट दिया जाये तो उस कोष्ठविशिष्ट पद का मोल बिगड़ता नहीं ।
जैसा, अ + (क-ग) र =
- ( - क + ग ) र,
थ - अ (२क - ५र) =
+
(-२क + ५र),
- ४ (-२क +३ग) = ४ ( + २क - ३ग) ।
जिन सजातीय पदों के वारयोतक अक्षरात्मक हैं उन का संकलन ।
२७ । जब सजातीय संकलनीय पदों के चिह्न सजातीय हैं तब यदि वारयोतक केवल पद हों तो उन वारयोतकों को धन चिह्न के साथ कोष्ठ में अलग २ लिखो । और यदि वारयोतक संयुक्त पद हों तो उन का योगरीति से योग करके उस को कोष्ठ में लिखा 'फिर उस कोष्ठ के पीछे सजातीय पद लिख के आदि में योतक चिह्न जो धन वा ऋण होगा सो लिख देओ ।
उदा० (१) नाथ - श्र
३ कय- घर
(२) ( त + ३थ) अ - (४प - ३फ) थ (३त- ५थ) - • (३प +५फ) य ४ चय - ५ कर (श्त + ९थ) - ( प - ७फ) य (+३+४च) य - (२ग+घ+५छ) र । ( ६ त + ७थ)
- ( प - ५फ) य ।
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