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अज्ञानतिमिरजास्कर.
श
में मदिरा बहुत पिया तिसके मदसे सर्प मार
ने त्रिकटुक मेरा ऐसें एक मंत्र में है सो निचे लिखा है.
वेद में सर्प, विन्दु गृत्समदषिः अटक २ श्रध्याय २ वर्ष १५ ॥ मंत्र और कुत्ते के मा रने वाल- १ " त्रिकटुकेष्वपि वत्सुतस्यास्य मदे श्रदिमिंशे खा है. जघान " ॥ दुसरी जंगें सांप और विबुको पथ्थरोसे मार गेर विषे वेदमें लिखा है और इस मंत्र सांप और विका जहर उतारते है | अगस्तिषिः अष्टक २ अध्याय १ वर्ग १६ श्च १५ ।। " इतयकः कुकुंज कस्तकं निदश्मना" अश्विन देवकी प्रार्थना कुत्तेके मारने वास्ते वेदमें लिखी है सो नीचे प्रमाणे. अगस्तिकपिः रुग्वेद अष्टक १ अध्याय 8 वर्ग १० मंत्र २४ " जंजयतमनितोरायतः शुनो हतं मृधो विदधुस्तान्यश्विना " ॥ इत्यादि श्रुतियोंके लेखसे वेद ईश्वरके कहे हुए नहीं. क्योंकि ऐसी प्रनुचित प्रमाणिक और बेहूदी बातां ईश्वरके कथनमें कदापि नहीं हो सक्ती है. क्या ईश्वर रूप और सूर्य और त्र्यंबक वरुण प्रमुख विनति करता है कि मेरा यह काम तुम कर देवो ? तथा वेदूमें पुरुष स्त्री वेद में पुरुष स्त्री कुमारी कन्याकाजी होम करना करनेका लिखा है । तैत्तरीय वाह्मणे ३ कांडे ४ प्रपाठके १२५ पदेश है. अनुवाक " प्रशायैजामिम् प्रतीक्षायै कुमारीम् प्रमुदे कुमारीपुत्रम् श्राराध्यै दिधिषूपतिं " ॥ जाप्य - " आशायै जामिं निवृत्तरजस्कां जोगायोग्यां स्त्रियं प्रतीक्षायै कुमारी अनृढाम् कन्यामाते प्रमुदे दुहितुः पुत्रं प्राराध्यै दिधिषूपतिं छिविवादं कृतवती स्त्री दिधीपुः तस्याः पतिं " ॥ अर्थ - आशाके वास्ते जिस स्त्रीका ऋतु धर्म जाता रहा होवे, जोग करनेके योग्य नहीं रही होवे freet वध करना चाहिये, और प्रतीक्षाके वास्ते कुमारी कन्याका वध करना चाहिये, प्रमुदके वास्ते बेटीके बेटेको वध करना चाहिये, आराध्य के वास्ते जिस स्त्रीने दो वार विवाह
और कन्याका
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