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प्रथमखम. इस पंथके चलाने वाले नारामसिंहको सरकार अंग्रेज पकमके ब्रह्माके देश में ले गये है तबसें यह मत मुस्त पड़ गया है. तोनी एक लाखके करीब आदमी होंगे. लोकोनें इस पंधका नाम कूका रखा है. क्योंकि इस मतके नजन बोलने वाले कूक मारते है. इन मतमें ब्राह्मलोंका कदर है नही.
हमारे सुनने में आया है कि पंजाब देशमें एक वटाला नामका नगर है. तिसका रहनेवाला एक नद्यालनेमि नामक ब्राह्मण काशीमें वेदांत शास्त्र पढा और रामघाट नपर जाकर स्नान करती दूर नग्न स्त्रियोंके अंगोपांग देखनेका लालची बहुत हुआ. विद्यागुरुने मने करा तोनी न माना, तब गुरुने अपनी शालासें निकाल दीया, वेदांतिओका तब नद्यालनेमिनें क्रोधित होकर सर्व नपनिषद् और
वाशिष्ट प्रमुख वेदांत ग्रंथोकी नाषा कर के पंजाब देशमें ब्राह्मणसें लेकर जाट, चमार, नंगीयो तक वेदांत शास्त्र पढाया, ब्राह्मणोंकी बांधी सर्व मर्यादा तोड गेरी.इधर दिल्ली के पास निश्चलदास दादूपंथीने विचारसागर और वृनिपनाकर ये दो वेदांतके ग्रंथनापामें रचके छपावके प्रतिइकरे. इनको वांचके कितनेक लोक वेदांती हो गये है. तिनमें कितकेकतो चालचलनके अच्छे है, परंतु दुराचारी नास्तिकोंके तुल्य बहुत हो गये है. अमृसरमें कितनेक निर्मले फकीर और पुरुष स्त्रियां बमे उराचारी है. मांस मदिरानी खाते पीते है. और नानकजीके नदासी साधुनी बहुत वेदांती हो गये है. तथा चकुकटे १ रोमे २ गुलाबदासी ये नास्तिकमती निकले है. तथा गुजरात देशमें स्वामीनारायणका एक नवा पंथ निकला है.
अव जो कोई सच्चे धर्मकों अंगिकार करा चाहे तो इन
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