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२६६ अज्ञानतिमिरनास्कर. और जो ननके चेले साधु है वे दो तरेंके है. एक धवले वस्त्र रखते है, रुपए रखते है, जघराणी करके महंतको देते है,
और जो नगवे वस्त्र रखते है. चे तुबा रखते है रुपईये नदि रखते है, जुत्ते पेहरते है, अस्वारिपर चढते है, माथे उपर फेंटा बांधते है, स्नान करते है, खुब नोतरेसे जिमते है, लोकोंकों कहते है नववार सहित शील पालते है, इनके नक्तजन जैनीयो की तरे कांसिये बजाते है. इस मतको गुजरानमें रजपुत, कुनबी,, कोली प्रमुख बहुत लोको मानते है. इनोंने मत बहुत गुजरातमें चलाया है. उधर सिकंदर लोदी बादशाह के समयमें काशीके पंडितोसे लमनिडके और पतंजल शास्त्र कुच्छक सुरा सुणांके कुच्छ मनकल्पित गप्पे मिलाके कबीर जुलाहेनें कबीरमत चलाया. लोक तिसकोनी. मानने लगे. कबिरने मूर्ति पूजन निषेध करा. तिसके पीछे तदनुयायी वेद, पुराण और, जैनमतके भार मारफतवाले मुसलमानोके मतसें कुच्छक बात लेकर नानकसाहिब बेदि कृत्रिने नानकपंथ चलाया, तिसको लाखो लोक मानते है. अकबर बादशाहकी वखतमें दादुजीने दाउथ चलाया, तिसको हजारो लोक मानने लगे. नधर तुकाराम नक्तने दक्षिणमें नक्तिपंथ चलाया, तिसको हजारो लोग मानने लगे.. दीक्षीके पास बुडाणी गामके रहनेवाले गरीबदासः नामा जाटनें गरीबदास पंथ चलाया. लिसके संप्रदायो साधु परमानंद, ब्रह्मानंद, हंसराम प्रमुख अब वेदांती बन रहे है. ब्रह्मानंदतो चाषा.. कवित बनाने में कवि बन रहा है, इस मतको लोग मानमें लगे. नधर नानकसाहेबके समयमे गोरखनाथने कानफामे योगीोका मत चलाया, और सूरोदय विगेरे ग्रंथ रचे. तिसके पीछे मस्तनाथने नास्तिक कानफामे जोगीयोका पंथ चलाया. इस पंथका महंत दीजीके पास बाहेर गाममे रहता है, इनकोनी लोक मा
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