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द्वितीयखम.
रएए शंभुस्वयंभुहरयो हरिणेक्षणानां येनाक्रियंत सततं गृहकर्मदासाः । वाचामगोचरचीरत्रविचित्रताय
तस्मै नमो भगवते कुसुमायुधाय ॥ १॥ सारांश यह है कि ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर इन तीनों कामने स्त्रीयोंका घरका दास बनवाया. और अहंत परमेश्वर गुगवान श्रे सो वैसेहि लिखनेमें आये है, अरु अन्य देव विषयी होनेसे वैसेहि लिखनेमें आते है.
जैनमतमें दर्शावेल आयुष्य और देह
प्रमाणका प्रतिपादन. कितनेक यह जी कहता है कि जैन मतमें जॉ तीर्थंकरोकी आयु और अवगाहना अर्थात् शरीरका चापणा और परस्पर ती थंकरोकी अंतरके असंख्य क्रोमो, लाखो वर्ष प्रमुख जो लिखे है सो प्रतीतिके लायक नही है क्योंकि इतनी आयु, और इतनी नंची देह, और इतना काल संनव नही होता है. इतिहासतिमिरनाशकका कर्त्तानी इस वातकों मश्करीकी तौरपर लिखता है, परंतु जब यह संसार अनादि सिःह है तो इसमें पूर्वोक्त तीनो वातोका होना मुश्कल नहि है. और जो वेदों में लिखा है कि में सो वर्षतक जीशकुं और कठ नपनिशदमें यम नचिकेताको कहता है कि बेटे और पोते. मांग जो सौ सौवर्ष जिवना.इससे तो जोमोद मुलर साहिबनें लिखा है कि वेदोंको बने श्ए सौ वा ३१०० सौ वर्ष हुए है सो सिाह होता है क्योंकि श्ए० वा. ३१०० वर्ष पर वेदोंकी नत्पति समयमें सौ वर्षकही आयु श्री. सो वैसाही प्रार्थना करी.
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