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अज्ञान तिमिरभास्कर.
आयु, अवगाहना अल्प होवे उसमें क्या आश्चर्य है. प्रोफेसर श्रीप्रोमोर कुक अपने बनाये भूस्तर विद्याका ग्रंथ में लिखता है कि पूर्व काल में नमते गीरोली जातके प्राणी ऐसे बडेथे कि उसके पांख २७ फिट लंबी थी, जब ऐसे बडे विद्वान् गीरोली जैसा ना - ना प्राणीका ऐसा बडा पूर्व कालमें या ऐसा सिद करता है तो फिर पूर्व कालमें वो समयमें मनुष्यकी बडी श्रायुष्य ओर अवगाना माननी उसमें क्या आश्चर्य है. बहुते पुराला शोधसें पूर्व कालके मनुष्यकी आयु, अवगाहना जास्ती सिद्ध होती है. इस वास्ते दयानंदका अटकल के अनुमान सब जूठे है.
उपसंहार.
हम सब सुजनोसें नम्रतापूर्वक यह विनंति करते है कि एक वार जीसने धर्म पीबानना होवे सो जैनमतके शास्त्र पढे वा सुने तो उसको सर्व मालुम हो जायेगा. जैनमतका शास्त्र और तत्वबोध अच्छी तरे जाने सुने विना मतमें संकल्प विकल्पकरके कोइ कीसी बातको अपनी समज मुजब सच्ची और जूठी माननी वो अज्ञानताका एक चिन्ह है.
॥ इति श्री तपगलीये मुनिश्री मलिविजयगलि शिष्य श्री बुद्धिविजय तविष्य श्रात्माराम आनंद विजयविरचिते अज्ञानतिमिर नास्करे प्रथमः संपूर्णः ॥ १ ॥
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