________________
४०.
अज्ञानतिमिरजास्कर..
थवा काका मामा घरमें आवे तो तिनकों मधुपर्क देना चाहिये. ५ मुख साफ करने वास्ते पाणी देकर तिसके आगे गाय खमी रखनी चाहिये.
६ सूत्र में लिखा मंत्र पढके प्रोम् कहके घरके स्वामीनें
गायका वध करणा.
मधुपर्कके अंग में जो जीमणवार होती है ते मांस विना नही होती. इस वास्ते पशुके वधपूर्वक मधुपर्क करा होवे तो तिसही पशुका मांस जिमावारके काम में और पशुको बोकी दिया होवतो अन्य रीतीनें मांस लाके जोजन कराना चाहिये.
दुसरे अध्यायकी चौथी कंडीकामें अष्टका विधान लिखा है. तिसमें पशुका वध करणा लिखा है तिसका सूत्र नीचे मु
जब जानना,
पशुकल्पेन पशुं संज्ञप्य प्रोक्षणोपाकरणवर्जं वपामुखिद्य जुहुयात् ॥ २-४-१३
अर्थ -- पिछले अध्याय में पशुवधका विधान बताया है. तिसी तरें पशु अर्थात् बकरा मारके तिसका कलेजा काढके तिसका होम करणा.
फिर दूसरे अध्यायकी पांचमी कंमीका प्रथम सूत्रमें अन्वष्टका अनुष्टान लिखा है. जिसमें नीचे प्रमाणे लिखा हुआ है. १ अपरेद्युरन्वष्टक्यं ॥ २.५-१
२ तस्यैव मांसस्य प्रकल्पः २-५-२
नारायणवृत्ति - अपरस्मिन्नहनि नवम्यामन्वष्टक्यं नाम कर्म कार्यमित्यर्थः ॥ योऽष्टम्यां पशुः कृतः तस्यैव मांसं ब्राह्मणभोजना. थे प्रकल्पः संकल्पोत्यर्थं ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org