Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan
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र ( १२० )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र 15 के पास जाकर हाथ जोड़ यथाविधि अभिवादन कर बोले “देवानुप्रिये ! आज्ञा दीजिये मुझे क्या डा र करना है।"
THE EXCHANGE 5 16. Tetaliputra was pleased to hear and understand the message the mid> wife had brought. He left his house and accompanied the mid-wife to the
queen's palace furtively through the back door. He went to Queen Padmavati s र and after due greetings asked, “Beloved of gods! Tell me what I have to do?" 15 सूत्र १७ : तए णं पउमावई देवी तेयलिपुत्तं एवं वयासी-“एवं खलु कणगरहे राया जावद
र वियंगेइ, अहं च णं देवाणुप्पिया ! दारगं पयाया, तं तुमं णं देवाणुप्पिया ! तं दारगं गिण्हाहि 15 जाव तव मम य भिक्खाभायणे भविस्सइ, त्ति कटु तेयलिपुत्तस्स हत्थे दलया।
र तए णं तेयलिपुत्ते पउमावईए हत्थाओं दारगं गेण्हइ, गेण्हित्ता उत्तरिज्जेणं पिहेइ, पिहित्ता 15 अंतेउरस्स रहस्सियं अवदारेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सए गिहे, जेणेव पोट्टिला भारिया द र तेणेव उवामच्छइ, उवागच्छित्ता पोट्टिलं एवं वयासीर सूत्र १७ : पद्मावती देवी ने कहा-“तुम जानते ही हो कि महाराज कनकरथ अपने पुत्रों को दी 5 विकलांग बना देते हैं। हे देवानुप्रिय ! मैंने एक पुत्र को जन्म दिया है। तुम इस बालक का दायित्व द
र सँभालो। यह बालक हमारा पालक-पोषक बनेगा।" रानी ने शिशु को तेतलिपुत्र के हाथों में दे दिया। > 15 तेतलिपुत्र ने बालक को लिया और अपने उत्तरीय से ढंक लिया। फिर वह गुप्त रूप से द र अन्तःपुर के पिछले द्वार से निकलकर अपने घर लौट आया। पोट्टिला के पास जाकर बोला5 17. Queen Padmavati replied, “You are already aware that King Kanak- ८ 15 rath disfigures all our sons. Beloved of gods! I have given birth to a son. You t
take charge of him. When he grows up he will become our mentor." With | these words the queen handed over the new born to Tetaliputra. 5 Tetaliputra covered the infant with his shawl and stealthily returned to C 15 his residence the way he came. He went to Pottila and said,
र सूत्र १८ : “एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य जाव वियंगेइ, अयं च णंट 15 दारए कणगरहस्स पुत्ते पउभावईए अत्तए, तेणं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं दारगं कणगरहस्स द र रहस्सिययं चेव अणुपुवेणं सारक्खाहि य, संगोवेहि य, संवड्ढेहि य। तए णं एस दारए SI र उम्मुक्कबालभावे तव य मम य पउमावईए य आहारे भविस्सइ, त्ति कट्ट पोट्टिलाए पासे टा 15 णिक्खिवइ, पोट्टिलाए पासाओ तं विणिहाय-मावन्नियं दारियं गेण्हइ, गेण्हित्ता उत्तरिज्जेणं पिहेइ, डा र पिहित्ता अंतेउरस्स अवद्दारेणं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव पउमावई देवी तेणेवटी 5 उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पउमावईए देवीए पासे ठावेइ, ठावित्ता जाव पडिनिग्गए। 15(120)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SUTRA
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