Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 352
________________ 卐ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण D DDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDDD ) सत्रहवाँ अध्ययन : आकीर्ण ( २८५ ) टा accepted the order. They prepared many carts and filled them with required materials for the voyage. Besides this they also loaded into the carts a variety of Veenas (string instruments) like - Ballaki, Bhramari, Kacchapi Bhambha, Shatbhramari, etc. and other musical instruments that appealed B to the ears. र अश्व-मोदक सामग्री 5 सूत्र १४ : भरित्ता बहूणं किण्हाण य जाव सुकिल्लाण य कट्ठकम्माण य चित्तकम्माण यह र पोत्थ-कम्माण य लेप्पकम्माण य गंथिमाण य जाव संघाइमाण य अन्नेसिं च बहूणं दे 15 चक्खिंदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेंति। र भरित्ता बहूणं कोट्ठपुडाण य केयइपुडाण य जाव अन्नेसिं च बहूणं घाणिंदियपाउग्गाणं दव्वाणं द 15 सगडीसागडं भरेंति। 5 भरित्ता बहुस्स खंडस्स य गुलस्स य सक्कराए य मच्छंडियाए य पुप्फुत्तरपउमुत्तराए अन्नॅसिड 12 च जिभिंदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेंति। 15 भरित्ता बहूणं कोयवाण य कंबलाण य पावाणाय य नवतयाण य मलयाण य मसूराण यड र सिलावट्टाण य जाव हंसगब्भाण य अन्नेसिं च फासिंदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेंति। दी 15 सूत्र १४ : उन राज सेवकों ने अपनी गाड़ियों में फिर काली, लाल, सफेद आदि अनेक रंगोंड र की काष्टकर्म (लकड़ी की कलाकृतियाँ), चित्र कर्म (चित्रांकन की कलाकृतियाँ), पुस्तकर्म (लेखन द 5 कार्य से सम्बन्धित कृतियाँ), लेप्य कर्म (मिट्टी आदि से बनी कलाकृतियाँ), ग्रन्थिम (गूंथकर बनाई डा 15 कलाकृतियाँ), वेष्टिम (वेष्टन कर-या चढ़ाकर बनाई कलाकृतियाँ), पूरिम (भरकर या पूर कर ही र बनाई कलाकृतियाँ), संघातिम (विभिन्न वस्तुओं को मिलाकर बनाई कलाकृतियाँ), आदि नेत्रों को द 15 भाने वाला सामान भर लिया। र इसके बाद कोष्ट पुट (अर्क खींचना, डिस्टिलेशन या एक्स्ट्रेक्षन) तगर, एला, केतकी (इलायची) टी 5 चंदन, जूही आदि घ्राणेन्द्रिय को लुभाने वाले विभिन्न प्रकार के सुगंधित पदार्थ भी गाड़ियों में भर डा 5 लिए। र यही नहीं स्वाद में भले लगने वाले अनेक पदार्थ जैसे-खाँड़, गुड़, शर्करा, मत्स्यंडिका (मिश्री) 5 पुष्पोत्तर-शर्करा, पद्मोत्तर शर्करा आदि जिह्वा इन्द्रियों को लुभाने वाला सामान भी गाड़ियों में भर ही र लिया। 5 अन्त में कोयतक (रुई के), कंबल, प्रावरण (ओढ़ने के), नवत (जीन), मलय (आसन विशेष), SI र मसग (चमड़े के), शिकावतक आदि स्पर्श में भली लगने वाली स्पर्श इन्द्रिय को लुभाने वाली अनेक टी र वस्तुएँ भी गाड़ी में भर ली। र CHAPTER-17 : THE HORSES ( 285) दा FAAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnAAI Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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