Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 402
________________ - - - - र उन्नीसवाँ अध्ययन : पुण्डरीक ( ३३१ ) 15 सूत्र ७ : तए णं से कंडरीए जाव थेरे वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता अंतियाओ टा र पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता तमेव चाउघंटं आसरहं दुरूहइ, जाव पच्चोरुहइ, जेणेव पुंडरीए SI राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव पुंडरीए रायं एवं वयासी-‘एवं खलु टा 5 देवाणुप्पिया ! मए थेराणं अंतिए जाव धम्मे निसंते, से धम्मे अभिरुइए, तए णं देवाणुप्पिया ! डा र जाव पव्वइत्तए।' 15 सूत्र ७ : कण्डरीक स्थविर मुनि को वन्दन-नमस्कार करके वहाँ से बाहर आया और चार द २ घण्टा वाले अश्वरथ पर आरूढ़ होकर राजभवन में आया। रथ से उतर कर वह पुण्डरीक राजा SI र के पास गया और हाथ जोड़ कर बोला-“देवानुप्रिय मैंने स्थविर मुनि से धर्मोपदेश सुना है और हा 15 उसमें मेरी रुचि हो गई है। अतः मैं दीक्षा ग्रहण करने की इच्छा करता हूँ। 12 7. Kandareek formally begged leave from the great ascetic and came out. S B He rode a four horse chariot to the palace. After getting down from the chariot he went to king Pundareek and joining his palms submitted, “Beloved 15 of gods! I have listened to the discourse of the Sthavir ascetic and liked it. टी 15 Now I wish to get initiated." सूत्र ८ : तए णं पुंडरीए राया कंडरीये जुवरायं एवं वयासी-'मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! 2 15 इदाणिं मुंडे जाव पव्वयाहि, अहं णं तुम महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचामि। तए णं से कंडरीए पुंडरीयस्स रण्णो एयमढें णो आढाइ, जाव तुसिणीए संचिट्ठइ। 15 तए णं पुंडरीए राया कंडरीयं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी जाव तुसिणीए संचिट्ठइ। ___ सूत्र ८ : राजा पुण्डरीक ने कण्डरीक युवराज से कहा-“देवानुप्रिय ! तुम अभी दीक्षा ग्रहण 15 मत करो क्योंकि मैं तुम्हारा विशाल समारोह सहित राज्याभिषेक करना चाहता हूँ।' र युवराज ने राजा कुण्डरीक की बात को स्वीकार नहीं किया और मौन ही रहा। राजा पुण्डरीका 15 ने पुनः दूसरी बार और तीसरी बार वही बात कही किन्तु कण्डरीक मौन रहा। 12 8. King Pundareek replied, “Beloved of gods! Do not get initiated now 9 because I want you to ascend the throne after a lavish coronation 5 celebration." 15 Prince Kandareek did not give his consent to the king's proposal and SI 13 remained silent. King Pundareek repeated his request two-three times but SI 1 Kandareek still remained silent. सूत्र ९ : तए णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे नो संचाएइ बहूहिं आघवणाहिं पण्णवणाहिं य टी सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य ताहे अकामए चेव एयमटुं अणुमण्णित्था जाव र णिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचइ जाव थेराणं सीसभिक्खं दलयइ। पव्वइए, अणगारे जाए, टा 15 एक्कारसंगविऊ। APTER-19 : PUNDAREEK (331) ट्रा FAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAD Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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