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र ( ३३६ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र हा सूत्र १६ : उस समय किसी काम से राजा पुण्डरीक की धाय माँ अशोकवाटिका में आई तो SI र उसने चिन्तामग्न कण्डरीक को वहाँ पर बैठे देखा। वह पुण्डरीक के पास गई और उससे कहा5 "देवानुप्रिय ! तुम्हारा प्रिय भाई कण्डरीक अशोकवाटिका में अशोक वृक्ष के नीचे पृथ्वी शिलापट दी र पर चिन्ता-मग्न बैठा हुआ है।" 5 16. At that time the nurse maid of King Pundareek came to that garden 15 for some work and saw a dejected Kandareek. She went to King Pundareek
and said, “Beloved of gods! Your darling brother Kandareek is sitting » rock under an Ashok tree in a nearby garden overwhelmed by anxiety." S
___ सूत्र १७ : तए णं पोंडरीए अम्मधाईए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म तहेव संभंते समाणे उठाए । 5 उद्वेइ, उठ्ठित्ता अंतेउरपरियाल-संपरिवुडे जेणेव असोगवणिया जाव कंडरीयं तिक्खुत्तो एवं ट 5 वयासी-'धण्णे सि तुमं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वइए। अहं णं अधण्णे जाव पव्वइत्तए। तं धन्ने डी र सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले।'
सूत्र १७ : धाय माता की यह बात सुन राजा पुण्डरीक आशंकित हो उठा। वह तत्काल अपने डा र अंतःपुर परिवार के साथ अशोक-वाटिका में गया और कण्डरीक की तीन बार वन्दना करके डा र कहा-“देवानुप्रिय ! तुम धन्य हो जोकि दीक्षित हो गए और मैं अधन्य हूँ कि दीक्षा लेने का सामर्थ्य | 5 नहीं जुटा पा रहा हूँ। तुमने मानवीय जीवन का सुन्दर फल पाया है।" । 12 17. King Pundareek got worried when he got this news from his nurses
maid. He rushed to the garden with his queens and after paying homage
thrice, said to Kandareek, “ Beloved of gods! You are the blessed one that you 5 got initiated and I am the cursed one that I do not have enough courage to do 15 so. You have achieved the best goal of life.”
र सूत्र १८ : तए णं कंडरीए पुंडरीएण एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्टइ। दोच्चं पि तच्चं पिटी 15 जाव चिट्ठ।
र सूत्र १८ : पुण्डरीक राजा के इस कथन पर कण्डरीक तीनों बार मौन ही रहा उसके कथन पर डी र कुछ भी उत्तर नहीं दिया।
___18. All the three times when the king repeated this statement Kandareek ST ? did not reply, he just remained silent. 15 प्रव्रज्या का परित्याग
सूत्र १९ : तए णं पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासी-‘अट्ठो भंते ! भोगेहिं ?' 'हंता अट्ठो।' सूत्र १९ : तब पुण्डरीक राजा ने कण्डरीक से पूछा-“भंते ! क्या भोग भोगने की इच्छा है ?" ll
कण्डरीक बोला-“हाँ ! है।" 5 (336)
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA CU sannnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnni
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