Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 422
________________ भण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ट ISTITUT P द्वितीय श्रुतस्कंध : धर्मकथा ( ३४९ ) | र एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा-51 र (१) काली, (२) राई, (३) रयणी, (४) विज्जू, (५) मेहा। 5 जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता। पढमस्स णं र भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते ? 15 सूत्र ५ : "भन्ते ! श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथा के दस वर्ग बताये हैं तो उनमें से प्रथम SI र वर्ग का उन्होंने क्या अर्थ कहा है ?" 15 "जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने प्रथम वर्ग के पाँच अध्ययन बताये हैं-(१) काली, SI 17 (२) राजी, (३) रजनी, (४) विद्युत, और (५) मेघा।" 15 "भन्ते ! श्रमण भगवान महावीर ने प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ कहा है?" 5 ARRIVAL OF GODDESS KALI 12 5. Bhante! of the ten sections of the Dharma Katha as told by Shraman 2 Bhagavan Mahavir what has he explained about the first section? 5 Jambu! Shraman Bhagavan Mahavir has further divided the first section 15 into five chapters--1. Kali, 2. Raji, 3. Rajni, 4. Vidyut, and 5. Megha. 12 Bhante! What has Shraman Bhagavan Mahavir explained about the first 5 chapter. सूत्र ६ : जंबू ‘एवं खलु ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे, गुणसीलए चेइए, र सेणिए राया, चेलणा देवी। सामी समोसरिए। परिसा निग्गया जाव परिसा पज्जुवासइ। ट 5 सूत्र ६ : जम्बू ! काल के उस भाग में राजगृह नाम का नगर था। जिसके बाहर गुणशील चैत्य ड र था। वहाँ श्रेणिक राजा राज्य करते थे। उनकी रानी चेलना थी। एक बार वहाँ श्रमण भगवान ? र महावीर पधारे। वन्दना के लिए परिषद् निकली और भगवान की उपासना करने लगी। 5 6. Jambu! During that period of time there was a city named Rajagriha. > Outside the city there was a Chaitya named Gunashil Chaitya. King Shrenik Bruled over that city. The name of his queen was Chelna. Once Shraman B Bhagavan Mahavir arrived there. A delegation of citizens came and a 5 commenced worship. र सूत्र ७ : तेणं कालेणं तेणं समएणं काली नामं देवी चमरचंचाए रायहाणीए टा र कालवडिंसगभवणे कालंसि सीहासणंसि, चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं, चउहिं महयरियाहिं, ड 15 सपरिवाराहिं, तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं, सत्तहिं अणियाहिवईहिं, सोलसहिं डा र आयरक्खदेवसाहस्सीहिं, अण्णेहिं बहुएहि य कालवडिंसयभवणवासीहिं असुरकुमारेहिं देवेहि दी 15 देवीहि य सद्धिं संपरिवुडा महयाहय जाव विहरइ। 115 SECOND SECTION : DHARMA KATHA SAnnnnnnnnnnnnnAAAAAAAAAAAAAAAAAALI uuN (349) ८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467