________________
5
सत्रहवाँ अध्ययन : आकीर्ण
( २८३ ) It would be profitable for us to fill the holds of our ship with these minerals." They all agreed and filled the holds of the ship with all the minerals and also hay, wood, grain and fresh water. When the wind favoured, they sailed and arrived at Gambhir port. They anchored the ship and disembarked. The ship was unloaded and the cargo was transferred to carts made ready for travel. Once the complete cargo was transferred, they left the port and came to Hastisheersh city. They halted the caravan outside the city and camped in the main garden. Collecting valuable gifts, they entered the city and went to the king's court. After greeting King Kanak-ketu they displayed before him the gifts they had brought for him.
The king accepted the gifts.
अश्वों की कामना
सूत्र ११ : ते संजत्ताणावावाणियगे एवं वयासी - 'तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! गामागर जाव आहिंडह, लवणसमुद्दं च अभिक्खणं अभिक्खणं पोयवहणेणं ओगाहह, तं अत्थियाई केइ भे कहिंचि अच्छेर दिट्ठपुव्वे? '
तए णं संजत्ताणावाचाणिया कणगकेउं रायं एवं वयासी - ' एवं खलु अम्हे देवाणुप्पिया ! इहेव हत्थसीसे नयरे परिवसामो तं चेव जाव कालियदीवंतेणं संवूढा, तत्थ णं बहवे हिरण्णागरा य जाव बहवे तत्थ आसे, किं ते हरि - रेणु - सोणिसुत्तगा जाव अणेगाइं जोयणाई उब्भमंति । तए गं सामी ! अम्हेहिं कालियदीवे ते आसा अच्छेरए दिट्ठा ।
सूत्र ११ : फिर राजा ने उन व्यापारियों से पूछा - "देवानुप्रियो ! तुम लोग अनेक गाँवों और बस्तियों व द्वीपों में जाते हो, बार-बार जहाजों द्वारा लवणसमुद्र की यात्रा करते हो, क्या कहीं तुमने कोई आश्चर्यजनक वस्तु देखी ?"
उन व्यापारियों ने उत्तर दिया- “ देवानुप्रिय ! हम लोग इसी हस्तिशीर्ष नगर के निवासी हैं। इस बार हम कालिक द्वीप की यात्रा पर गये थे। वहाँ चाँदी, सोने आदि के बहुत से खनिज हैं तथा बहुत से अश्व हैं (अश्वों का वर्णन पूर्वसमान) । वे अश्व हम लोगों के भय से उद्विग्न हो कई योजन दूर चले गये । हे स्वामी ! हमें कालिक द्वीप के श्रेष्ठ अश्व आश्चर्यजनक लगे।”
DESIRE FOR THE HORSES
11. After this, the king asked the merchants, “Beloved of gods! You visit many villages, towns, and islands. You go on sea voyage now and then. Have you seen some astonishing things?"
The merchants replied, "Beloved of gods! We are inhabitants of this Hastisheersh city. This time we went to Kalik island. In that island there are
CHAPTER-17: THE HORSES
( 283 )
Jain Education International
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org