Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 381
________________ भएण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण मानAAAAAAAAAAAUNL O D क( ३१०) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा ___16. During this period chief Vijay taught Chilat many skills, mantras, al 15 illusions, and tricks useful to thieves. र सूत्र १७ : तए णं से विजए चोरसेणावई अन्नया कयाइं कालधम्मणा संजुत्ते यावि होत्था। 15 ताइं पंच चोरसयाई विजयस्स चोरसेणावइस्स महया महया इड्ढी-सक्कार-समुदएणं णीहरणं टा र करेंति, करित्ता बहूइं लोइयाइं मयकिच्चाई करेइ, करित्ता जाव विगयसोया जाया यावि होत्था। हा 15 सूत्र १७ : कालान्तर में विजय चोर सेनापति की मृत्यु हो गई। उसके दल के पाँच सौ चोरों ने दी र बहुत ऋद्धि (धन व्यय करके) सत्कार व समारोह पूर्वक उसका अन्तिम संस्कार व मृतक-कृत्य र सम्पन्न किए। समय बीतने के साथ-साथ उनका शोक भी समाप्त हो गया। 15 17. After some time chief Vijay died. The five hundred thieves of his gang I > performed his last rites with grandeur befitting his status. With the passage 2 of time they recovered from their sorrow. र चिलात सेनापति बना 15 सूत्र १८ : तए णं ताई पंच चोरसयाइं अन्नन्नं सदावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी-‘एवं खलु डा र अम्हं देवाणुप्पिया ! विजए चोरसेणावई कालधम्मुणा संजुत्ते, अयं च णं चिलाए तक्करे विजएणंडी 15 चोरसेणावइणा बहुओ चोरविज्जाओ य जाव सिक्खाविए, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! दी र चिलायं तक्करं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचित्तए।' त्ति कटु अन्नमन्नस्स SI ए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणित्ता चिलायं तक्करं तीए सीहगुहाए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचंति। टी 15 तए णं से चिलाए चोरसेणावई जाए अहम्मिए जाव विहरइ। र सूत्र १८ : इसके बाद उन सभी पाँच सौ चोरों ने एकत्र हो मंत्रणा की-“देवानुप्रियो ! हमारे ट 15 चोर सेनापति विजय की मृत्यु हो गई है। उसने इस चिलात तस्कर को अनेक चोर विद्याएँ आदि डा र सिखलाई हैं। अतः अच्छा होगा कि चिलात तस्कर का सिंह गुफा नामकी चोर बस्ती के ही र चोर-सेनापति के रूप में अभिषेक किया जाये।” सभी इस प्रस्ताव से सहमत हो गये और चिलात ट 5 का चोर सेनापति के रूप में अभिषेक कर दिया। चोर सेनापति बनकर चिलात अपने पूर्वगामी डा र विजय के समान ही अधार्मिक, क्रूर, और पाप-कृत्यों में लिप्त हो जीवन बिताने लगा। R CHILAT BECOMES CHIEF 5 18. Now the five hundred thieves collectively deliberated, “Beloved of gods! 5 Our leader, chief Vijaya, has died. He has taught Chilat many arts and skills ► of our trade. As such, it would be proper if we choose Chilat and formally S 2 appoint him as our leader.” They took a unanimous decision and formally appointed Chilat as their leader. having become the leader Chilat conveniently adopted the evil, cruel and sinful life style of the deceased chief Vijay. (310) JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA yennnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnny Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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