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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा ___16. During this period chief Vijay taught Chilat many skills, mantras, al 15 illusions, and tricks useful to thieves.
र सूत्र १७ : तए णं से विजए चोरसेणावई अन्नया कयाइं कालधम्मणा संजुत्ते यावि होत्था। 15 ताइं पंच चोरसयाई विजयस्स चोरसेणावइस्स महया महया इड्ढी-सक्कार-समुदएणं णीहरणं टा
र करेंति, करित्ता बहूइं लोइयाइं मयकिच्चाई करेइ, करित्ता जाव विगयसोया जाया यावि होत्था। हा 15 सूत्र १७ : कालान्तर में विजय चोर सेनापति की मृत्यु हो गई। उसके दल के पाँच सौ चोरों ने दी र बहुत ऋद्धि (धन व्यय करके) सत्कार व समारोह पूर्वक उसका अन्तिम संस्कार व मृतक-कृत्य र सम्पन्न किए। समय बीतने के साथ-साथ उनका शोक भी समाप्त हो गया। 15 17. After some time chief Vijay died. The five hundred thieves of his gang I > performed his last rites with grandeur befitting his status. With the passage 2 of time they recovered from their sorrow. र चिलात सेनापति बना 15 सूत्र १८ : तए णं ताई पंच चोरसयाइं अन्नन्नं सदावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी-‘एवं खलु डा
र अम्हं देवाणुप्पिया ! विजए चोरसेणावई कालधम्मुणा संजुत्ते, अयं च णं चिलाए तक्करे विजएणंडी 15 चोरसेणावइणा बहुओ चोरविज्जाओ य जाव सिक्खाविए, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! दी र चिलायं तक्करं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचित्तए।' त्ति कटु अन्नमन्नस्स SI ए एयमट्ठ पडिसुणेति, पडिसुणित्ता चिलायं तक्करं तीए सीहगुहाए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचंति। टी 15 तए णं से चिलाए चोरसेणावई जाए अहम्मिए जाव विहरइ।
र सूत्र १८ : इसके बाद उन सभी पाँच सौ चोरों ने एकत्र हो मंत्रणा की-“देवानुप्रियो ! हमारे ट 15 चोर सेनापति विजय की मृत्यु हो गई है। उसने इस चिलात तस्कर को अनेक चोर विद्याएँ आदि डा
र सिखलाई हैं। अतः अच्छा होगा कि चिलात तस्कर का सिंह गुफा नामकी चोर बस्ती के ही र चोर-सेनापति के रूप में अभिषेक किया जाये।” सभी इस प्रस्ताव से सहमत हो गये और चिलात ट 5 का चोर सेनापति के रूप में अभिषेक कर दिया। चोर सेनापति बनकर चिलात अपने पूर्वगामी डा र विजय के समान ही अधार्मिक, क्रूर, और पाप-कृत्यों में लिप्त हो जीवन बिताने लगा। R CHILAT BECOMES CHIEF 5 18. Now the five hundred thieves collectively deliberated, “Beloved of gods! 5 Our leader, chief Vijaya, has died. He has taught Chilat many arts and skills ► of our trade. As such, it would be proper if we choose Chilat and formally S 2 appoint him as our leader.” They took a unanimous decision and formally
appointed Chilat as their leader. having become the leader Chilat conveniently adopted the evil, cruel and sinful life style of the deceased chief Vijay.
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA yennnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnny
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