Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 380
________________ UUUUN VAN र अठाहरवाँ अध्ययन : सुंसुमा ( ३०९ ) डा 15 चोर-सेनापति की शरण में र सूत्र १४ : तए णं से चिलाए दासचेडे रायगिहे णयरे बहूहिं अत्थाभिसंकीहि य दे 15 चोज्जाभिसंकीहि य दाराभिसंकीहि य धणिएहि य जूयकरेहि य परब्भवमाणे परब्भवमाणे डा र रायगिहातो नयराओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सीहगुहा चोरपल्ली तेणेव उवागच्छइ, ट 5 उवागच्छित्ता विजयं चोरसेणावई उपसंपिज्जत्ता णं विहरइ। र सूत्र १४ : उधर राजगृह नगर के अनेक आशंकित लोगों, जिनमें धन, स्त्री, पुत्र आदि के टा 5 अपहरण की आशंका रखने वाले तथा धनाढ्य व जुआरी सम्मिलित थे, उनके द्वारा तिरस्कृत र होकर, चिलात दास पुत्र राजगृह नगर से बाहर निकल गया। वह सिंह गुफा में चोर सेनापति ड र विजय के पास जा पहुँचा और उसका शरणागत होकर रहने लगा। 5 UNDER VIJAY'S PROTECTION 15 14. Pushed out by many citizens of Rajagriha including the wealthy, SI 2 habitual gamblers, and others apprehensive of being deprived of their wealth र and family, Chilat left the city. He went to the Simha-Gupha and joined टे 5 ranks with thief-chieften Vijay. र सूत्र १५ : तए णं से चिलाए दासचेडे विजयस्स चोरसेणावइस्स अग्ग-असि-लढिग्गाहे जाए डा 5 यावि होत्था। जाहे वि य णं से विजए चोरसेणावई गामघायं वा जाव पंथकोटिं वा काउं वच्चइ, र ताहे वि य णं से चिलाए दासचेडे सुबहु पि कूवियबलं हयमहियं जाव पडिसेहेइ, पडिसेहित्ता डा 15 पुणरवि लद्धढे कयकज्जे अणहसमग्गे सीहगुहं चोरपल्लिं हव्वमागच्छइ। र सूत्र १५ : कालान्तर में दासपुत्र चिलात विजय का मुख्य खड्ग व दण्डधारी बन गया। जब भी > 5 विजय किसी ग्रामादि को लूटने या अन्य यात्रियों की लूट-खसोट की मुहिम पर जाता था तब 15 चिलात चोरी पकड़ने आई सेना को हराकर तितर-बितर करता था और लूट का माल लेकर सिंह ई 2 गुफा में सकुशल लौट आता था। 5 15. With the passage of time Chilat became the second in command of C » chief Vijay. Whenever Vijay went out on a mission to raid some village or a s 2 caravan, Chilat led the forces that engaged the state forces, scattered them, B and brought back the loot safely to Simha-Gupha. ___ सूत्र १६ : तए णं से विजए चोरसेणावई चिलायं तक्करं बहुईओ चोरविज्जाओ य चोरमंते रय चोरमायाओ च चोरनिगडीओ य सिक्खावेइ। र सूत्र १६ : इस बीच विजय चोर सेनापति ने चिलात तस्कर को अनेक चोर-विद्याएँ, चोर मंत्र, ए चोर माया और निकृतियाँ (छल-कपट) सिखला दिये। 5 CHAPTER-18 : SUMSUMA ( 309) टा Annnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn ज्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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