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प्रज्ज्ज्ज ( ३१८ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
many ascetics and lay-persons. Moreover, lost in the wilderness of cycles of rebirth, they also suffer misery as Chilat did.
धन्य का शोक
सूत्र ३३ : तए णं से धण्णे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछट्टे चिलायं परिधाडेमाणे परिधाडेमाणे तण्हाए छुहाए य संते तंते परितंते नो संचाएइ चिलायं चोरसेणावई साहित्थि गिहित्तए । से णं तओ पडिनियत्तइ, पडिनियत्तित्ता जेणेव सा सुंसुमा दारिया चिलाएण जीवियाओ ववरोविएल्लिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुसुमं दारियं चिलाएण जीविया ओववरोवियं पासइ, पासित्ता परसुनियत्ते व चंपगपायवे निव्वत्तमहेव्व इंदलट्ठी विमुक्कबंधणे धरणितलंसि सव्वंगेहिं धसत्ति पडिए ।
सूत्र ३३ : धन्य सार्थवाह अपने पाँचों पुत्रों के साथ चिलात के पीछे दौड़ता - दौड़ता भूख-प्यास से आकुल व्याकुल हो गया। जब वह चिलात को पकड़ने में असफल हो गया तो वहाँ से लौट पड़ा। वह उस स्थान पर पहुँचा जहाँ चिलात ने सुंसुमा का वध कर दिया था। वहाँ धन्य सार्थवाह ने देखा कि सुसुमा का वध हो गया है। उसे जीवन रहित देखा, देखते ही वह कुल्हाड़े से कटे चम्पा के पेड़ तथा उत्सव हो चुकने के बाद टूटी हुई ध्वजा के समान धड़ाम से धरती पर गिर पड़ा।
GRIEF OF DHANYA
33. Following Chilat with his five sons, Dhanya merchant was in a state of distress due to thirst and hunger. When he could not apprehend Chilat he turned back and came to the spot where Chilat had dismembered Sumsuma. When he saw that his daughter had been murdered he collapsed on the ground like a Champa tree cut by an axe or a flag after a festival is over.
सूत्र ३४ : तए णं से धणे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछट्टे आसत्थे कूवमाणे कंदमा विलवमाणे महया महया सद्देणं कुहकुहस्स परुन्ने सुचिरं कालं वाहमोक्खं करेइ।
सूत्र ३४ : जब धन्य सार्थवाह और उसके पाँचों पुत्रों को होश आया तो वह रोने लगा, विलाप करने लगा और ऊँचे स्वर में क्रन्दन करने लगा । वह बहुत देर तक रोते-विलपते आँसू बहाते रहे।
34. When Dhanya merchant and his sons regained consciousness they started weeping, crying and wailing. They wept and shed tears for quite some time.
सूत्र ३५ : तए णं से धणे पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछट्टे चिलायं तीसे अगामियाए अडवीए सव्वओ समंता परिधाडेमाणा तण्हाए छुहाए य पराभूए समाणे तीसे अगामियाए अडवीए सव्वओ समंता उदगस्स मग्गणगवेसणं करेति, करिता संते तंते परितंते णिव्विण्णे तीसे अगामिया अडवीए उदगस्स मग्गणगवेसणं करेमाणे नो चेव णं उदगं आसादेइ ।
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