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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा सूत्र २८ : नगररक्षकों ने चिलात चोर सेनापति और उसके साथियों को मार-पीट कर पराजित दी कर दिया। उसके साथी पराजित होने पर लूट का माल वहीं फेंक कर इधर-उधर भाग गये। डी
नगररक्षकों ने लूट का वह सारा माल एकत्र कर लिया और उसे लेकर नगर की ओर लौट ट आये।
28. The battalion of guards fought and defeated the gang. The gang | 5 abandoned the loot and ran helter-skelter.
The guards collected all the loot and returned to the city. 5 सूत्र २९ : तए णं से चिलाए तं चोरसेण्णं तेहिं नगरगुत्तिएहिं हयमहिय पवर-वीरघाइय-ट 5 विवडियचिंध-धय-पडागं जाव किच्छोवगयपाणं दिसोदिसिं पडिसेहिंय भीते तत्थे सुसुमं दारियं डी र गहाय एगं महं अगामियं दीहमद्धं अडविं अणुपवितु। 5 तए णं धण्णे सत्थवाहे सुसुमं दारियं चिलाएणं अडिविमुहिं अवहीरमाणिं पासित्ता णं पंचहिंड र पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछडे सन्नद्धबद्ध-वम्मियकवए चिलायस्स पदमग्गविहिं अणुगच्छमाणे अभिगज्जते दी
हक्कारेमाणे पुक्कारेमाणे अभितज्जेमाणे अभितासेमाणे पिट्ठओ अणुगच्छइ। र सूत्र २९ : चिलात चोर ने जब देखा कि नगररक्षकों ने उसके साथियों को हरा दिया है, उसके टा 15 श्रेष्ठ वीर मारे गये हैं, ध्वजा-पताका नष्ट हो गई है, प्राण संकट में पड़ गये हैं, और दस्यु 15 तितर-बितर हो गये हैं, तो वह भय से उद्विग्न हो गया। फिर वह सुंसुमा को साथ ले एक दुर्गम 12 और लम्बी अटवी में घुस गया। 15 जब सुंसुमा को अटवी में ले जाते चिलात पर धन्य सार्थवाह की दृष्टि पड़ी तो वह अपने पाँचों डा
र पुत्रों को साथ ले कवचादि पहन चिलात के पद चिह्न खोजता हुआ उसके पीछे हो लिया। वह गर्जना 2 र करता, चुनौती देता, पुकारता, तर्जना करता और त्रस्त करता हुआ चिलात का पीछा करने लगा। 15 29. When Chilat saw that the guards had defeated his gang, with the bests IP of his warriors dead, his flag destroyed, his life in danger, and the gang 3 disintegrated and dispersed, he panicked. He took along Sumsuma and 5 entered a vast and wild terrain. 5 When Dhanya merchant saw Chilat entering the wilderness with S
Sumsuma he took his five sons along and followed Chilat's trail. While on the
trail of the thief he kept on roaring, challenging, calling, abusing, and B insulting the thief in order to instill fear in Chilat.
र सुंसुमा का शिरच्छेदन 15 सूत्र ३० : तए णं से चिलाए तं धण्णं सत्थवाहं पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछटुं सन्नद्धबद्धं डा र समणुगच्छमाणं पासइ, पासित्ता अत्थामे अबले अपरक्कमे अवीरिए जाहे णो संचाएइ सुंसुमंदा र (316)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA Snnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnny
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