Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 349
________________ பபபபா AON प्रज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज ) र ( २८२ ) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 5 in numerous colours (black, blue, white, yellow; they were healthy, agile, a 15 beautiful, etc. according to the description of good breeds of horses in the c! 15 commentaries). 2 The horses also saw and smelled these merchants. They became afraid and disturbed, and galloped many Yojans away in panic. There they saw pasture land and water and resumed their normal undisturbed and carefree 5 activities. सूत्र १0 : तए णं ते संजत्ताणावावाणियगा अण्णमण्णं एवं वयासी-'किण्हं अम्हे डी 5 देवाणुप्पिया ! आसेहिं? इमे णं बहवे हिरण्णागरा य, सुवण्णागरा य, रयणागरा य, वइरागरा द य, तं सेयं खलु अम्हं हिरण्णस्स य, सुवण्णस्स य, रयणस्स य, वइरस्स य पोयवहणं भरित्तए'S त्ति कटु अन्नमन्नस्स एयमढें पडिसुणेति, पडिसुणित्ता हिरण्णस्स य, सुवण्णस्स य, रयणस्स य, टा वइरस्स य, तणस्स य, अण्णस्स य, कट्ठस्स य, पाणियस्स य पोयवहणं भरेंति, भरित्ता दा र पयक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरपोयवहणपट्टणे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता पोयवहणं । 5 लंबेंति, लंबित्ता सगडीसागडं सज्जेंति, सज्जित्ता तं हिरण्णं जाव वइरं च एगट्ठियाहिंद 5 पोयवहणाओ संचारेंति, संचारित्ता सगडीसागडं संजोइंति, संजोइत्ता जेणेव हत्थिसीसए नयरेड र तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता हत्थिसीसयस्स नयरस्स बहिया अग्गुज्जाणे सत्थणिवेसं करेंति । 15 करित्ता सगडीसागडं मोएंति, मोइत्ता महत्थं जाव पाहुडं गेहति गेण्हित्ता हत्थिसीसं नयरंद अणुपविसंति, अणुपविसित्ता जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छंति उवागच्छित्ता जावड 5 उवणेति। तए णं से कणगकेऊ तेसिं संजत्ताणावावाणियगाणं तं महत्थं जाव पडिच्छइ। 15 सूत्र १० : इधर व्यापारियों ने परस्पर विचार किया “देवानुप्रियो ! हमें अश्वों से क्या काम दा र है? यहाँ अनेक चाँदी, सोने, रत्नों व हीरों की खाने हैं। अतः हमारे लिए तो इन खनिजों से जहाज र को भर लेना ही लाभदायक है।" यह सोच परस्पर सहमत होकर उन्होंने अपना जहाज सभी ट] 15 खनिजों तथा घास, अन्न, काठ तथा मीठे पानी से भर दिया। अनुकूल वायु होने पर वे गम्भीरपत्तन द पर पहुंचे और लंगर डालकर तट पर उतरे। वहाँ गाड़ियाँ तैयार की और जहाज में लादा माल उतारS र कर गाड़ियों में भरा। फिर गाड़ियों को जोत वहाँ से प्रस्थान किया। हस्तिशीर्ष नगर पहुंचने पर टै 5 नगर के बाहर मुख्य उद्यान में सार्थ रोका, गाड़ियाँ खोलीं, और बहुमूल्य उपहार साथ में लेकर दे हस्तिशीर्ष नगर में प्रवेश किया। राज्यसभा में जाकर कनककेतु राजा के सामने वे उपहार भेंट SI स्वरूप रख दिये। राज कनककेतु ने व्यापारियों के वे बहुमूल्य उपहार स्वीकार कर लिए। 10. The merchants deliberated, “Beloved of gods! We have nothing to do 2 with the horses. There are rich deposits of silver, gold, gems, and diamonds. र (282) JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA ) Ehannnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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