Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 309
________________ ज्ज P( २४४ ) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र द्रा 5 श्रीकृष्ण ने बताया-“देवानुप्रिय ! द्रौपदी देवी का अपहरण कर उन्हें पद्मनाभ राजा के भवन में से र ले जाया गया है। अतः तुम मेरे और पाँचों पाण्डवों के रथों को लवणसमुद्र पार करने का मार्ग दो ड 5 जिससे मैं द्रौपदी देवी को छुड़ा लाने के लिए अमरकंका जा सकूँ।" 2 168. When Krishna completed his three day fast god Susthit appeared < 2 before him and said, “Beloved of gods! Please tell me what I have to do?" 5 Krishna Vasudev said, “Beloved of gods! Draupadi has been abducted and taken to the palace of King Padmanaabh. So make a path for me and the five 2 Pandavs to cross the Lavan sea on chariots so that I may proceed to B Amarkanka city in order to get Draupadi released." ___ सूत्र १६९ : तए णं से सुत्थिए देवे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-'किण्णं देवाणुप्पिया ! जहा 5 चेव पउमनाभस्स रण्णो पुव्वसंगतिएणं देवेणं दोवई देवी जाव संहरिया, तहा चेव दोवइं देविं धायईसंडाओ दीवाओ भारहाओ जाव हत्थिणाउरं साहरामि? उदाहु पउमनाभं रायंट 15 सपुरबलवाहणं लवणसमुद्दे पक्खिवामि?' ___ सूत्र १७६ : सुस्थित देव ने उत्तर दिया-“देवानुप्रिय ! ऐसा क्यों नहीं करते? जैसे राजा डा र पद्मनाभ के पूर्वसांगतिक देव ने द्रौपदी देवी का युधिष्ठिर के राजमहलों से अपहरण किया था क्या 5 उसी प्रकार मैं द्रौपदी देवी को अमरकंका स्थित पद्मनाभ राजा के महल से हस्तिनापुर ले आऊँ ? 12 अथवा क्या पद्मनाभ राजा को, उसके नगर, सैन्य तथा वाहनों सहित लवणसमुद्र में फेंक दूं ?" 15 169. Susthit god replied, “Beloved of gods! Why not do as I say? As the friendly god abducted Draupadi from the palace of king Yudhishthir, I too < 2 will abduct Draupadi from King Padmanaabh's palace and deliver her to s B Hastinapur. Alternatively, I could throw King Padmanaabh in the Lavan sea 5 along with his city, vehicles and army." सूत्र १७0 : तए णं कण्हे वासुदेवे सुत्थियं देवं एवं वयासी-'मा णं तुमं देवाणप्पिया ! | 15 जाव साहराहि। तुमं णं देवाणुप्पिया ! लवणसमुद्दे अप्पछट्ठस्स छण्हं रहाणं मग्गं वियराहि, सयमेव णं अहं दोवईए देवीए कूवं गच्छामि।' 5 सूत्र १७0 : श्रीकृष्ण वासुदेव ने कहा-“देवानुप्रिय ! तुम यह सब मत करो। तुम तो हमारे द र छह रथों को लवण समुद्र से जाने का मार्ग दे दो। मैं स्वयं ही द्रौपदी देवी को वापिस लाने डा जाऊँगा।" र 170. Krishna Vasudev said, “No, beloved of gods! do no such thing. Yous B just give us passage for our six chariots to go across the sea. I will go myself ŞI 55 to set Draupadi free." JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SUTRA uurrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr 15 (244) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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