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ETUVIVUTUUTTUNUT ( २६०)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र SL 15 सूत्र १९९ : उस समय वासुदेव के मन में विचार उठा-“अहो ! पाँचों पाण्डव महान वलवान दा र हैं, उन्होंने इस विशाल पाट वाली गंगा नदी को तैर कर पार कर लिया। ऐसा लगता है कि उन्होंने ड र जानबूझ कर राजा पद्मनाभ को पराजित नहीं किया।" 5 उनकी यह मनोदशा देख गंगा देवी ने उन्हें स्थान (आश्रय) दे दिया। कृष्ण ने थोड़ी देर विश्राम 5 र किया और फिर गंगा के विशाल पाट का शेष भाग पार किया। जव वे पाण्डवों के पास पहुंचे तो ट 5 बोले-“अहो देवानुप्रियो ! तुम लोग महान बलवान हो क्योंकि तुमने विशाल पाट वाली गंगा महा दी 15 नदी को तैरकर पार किया है। तब तो तुमने जानबूझ कर ही पद्मनाभ को पराजित नहीं किया डा
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र होगा?"
5 199. At that time Krishna thought, “Oh! The Pandavs are extremely » strong; they have crossed the great width of the Ganges swimming. It SI 2 appears that they intentionally did not defeat King Padmanaabh.” 15 Looking at his mental condition the river goddess gave him a place to 5 rest. After resting for some time Krishna covered the remaining distance. S When he approached the Pandavs he said, “Beloved of gods! You are
extremely strong because you have crossed the great expanse of the Ganges B swimming. It appears that you intentionally did not defeat King a
Padmanaabh." र पाण्डवों का देश निकाला के सूत्र २00 : तए णं पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा कण्हं वासुदेवं एवं हा 5 वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे तुब्भेहिं विसज्जिया समाणा जेणेव गंगा महाणदी तेणेव टा 15 उवागच्छामो, उवागच्छित्ता एगट्टियाए मग्गणगवेसणं तं चेव जाव णूमेमो, तुब्भे पडिवालेमाणा डी र चिट्ठामो।' र सूत्र २०0 : श्रीकृष्ण वसुदेव की बात सुनकर पाँचों पाण्डवों ने स्पष्ट किया5 “देवानुप्रिय ! आपसे विदा लेकर हम गंगा तट पर आये और नौका की खोज कर उस पर दी
वैठकर इस पार चले आये। फिर आपके बल की परीक्षा लेने के उद्देश्य से हमने नाव छुपा ड दी और आपके आगमन की प्रतीक्षा करने लगे।"
[ PANDAVS EXILED
200. The Pandavs explained, “Beloved of gods! After we left you we came 2 to the bank of the Ganges and searched for a boat. We found one and crossed
the river in that boat. Then we hid the boat in order to test your strength and 5 waited for you." IR ( 260)
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