Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 324
________________ र सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका ( २५७ ) SI of the white and yellow flag of Krishna Vasudev while he was going across 5 the Lavan sea and said, “He is a lofty person like me. He is the great Krishna Vasudev and he is crossing the Lavan sea.” He picked up his Panchajanya ç P conch, took it to his lips and blew it. 5 सूत्र १९३ : तए णं से कण्हे वासुदेवे कविलस्स वासुदेवस्स संखसदं आयन्नेइ, आयन्नित्ता र पंचजन्नं जाव पूरियं करेइ। तए णं दो वि वासुदेवा संखसद्दसामायारिं करेंति। 5 सूत्र १९३ : कृष्ण वासुदेव ने वह शंखनाद सुना और अपना पाँचजन्य शंख निकाल कर स्वयं द र भी फूंक दिया। इस प्रकार दोनों वासुदेवों ने शंखनाद-मिलन किया। E 193. Krishna heard the echo and blew his own conch. Thus the two ट 5 Vasudevs greeted each other with conch sound. र सूत्र १९४ : तए णं से कविले वासुदेवे जेणेव अमरकंका तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता 15 अमरकंकं रायहाणिं संभग्गतोरणं जाव पासइ, पासित्ता पउमणाभं एवं वयासी-'किण्णंड र देवाणुप्पिया ! एस अमरकंका रायहाणी संभग्ग जाव सन्निवइया?' 5 सूत्र १९४ : तत्पश्चात् कपिल वासुदेव अमरकंका आये। वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि ड र अमरकंका के तोरण आदि ध्वस्त हो चुके हैं। उन्होंने पद्मनाभ से प्रश्न किया-“देवानुप्रिय ! यह ड र ध्वंस क्यों कर हुआ?" 5 194. After this Kapil Vasudev came to Amarkanka city and saw that the Sl arches and gates and all other constructions have been destroyed. He asked र King Padmanaabh, “Beloved of gods! What has caused this destruction?" ट 15 सूत्र १९५ : तए णं से पउमनाभे कविलं वासुदेवं एवं वयासी-‘एवं खलु सामी ! डी र जम्बुद्दीवाओ दीवाओ भारहाओ वासाओ इहं हव्यमागम्म कण्हेणं वासुदेवेणं तुब्भे परिभूय टी 15 अमरकंका जाव सन्निवाइया।' र सूत्र १९५ : तब कपिल वासुदेव से पद्मनाभ ने कहा, "हे स्वामी ! जम्बू द्वीप के भरत क्षेत्र सेट 15 कृष्ण वासुदेव यहाँ आए और आपको अपमानित कर अमरकंका को ध्वस्त कर दिया है।" र 195. King Padmanaabh replied, "Sire! Krishna Vasudev from the Bharat S R area of Jambu continent came here, insulted you, and destroyed Amarkanka 5 city." र सूत्र १९६ : तए णं से कविले वासुदेव पउमणाहस्स अंतिए एयम8 सोच्चा पउमणाहं एवं र वयासी-हं भो पउमणाभा ! अपत्थियपत्थिया ! किं णं तुमं न जाणसि मम सरिसपुरिसस्स कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणे?' आसुरुत्ते जाव पउमणाहं णिव्विसयं आणेवइ, SI र पउमणाहस्स पुत्तं अमरकंकारायहाणीए महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचइ, जाव पडिगए। सी R CHAPTER-16 : AMARKANKA (-5, टा YAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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