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धज्ज्ज्ज्ज्ज्ज ( १७४ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र SI 5 “I bow and convey my reverence to the worthy ones (Arhats), the supreme 5 ones (Bhagavans), ....... (the panegyric by the king of gods or the Shakrastav). My reverence also to my preceptor, Sthavir Dharmaghosh. Earlier, before
Sthavir Dharmaghosh, I took the five great vows including refraining from S 12 hurting life. Now I once again take the same vows in the name of those
Arihants. I also take an oath to remain detached from my body till my last breath.” Saying thus, and after doing the last critical review (Alochana
ratikraman), he took the ultimate vow and cmbraced the meditative death. र गुरु की चिन्ता 15 सूत्र १७ : तए णं ते धम्मघोसा थेरा धम्मरुइं अणगारं चिरं गयं जाणित्ता समणे निग्गंथे डा
र सहावेंति सद्दावित्ता एवं वयासी-‘एवं खलु देवाणुप्पिया ! धम्मरुइस्स अणगारस्स 15 मासखमणपारणगंसि सालाइयस्स जाव गाढस्स णिसिरणट्टयाए बहिया निग्गए चिरावेइ, तं
र गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेह।' 15 सूत्र १७ : उधर स्थविर धर्मघोष ने यह जानकर कि धर्मरुचि अनगार को गये बहुत देर हो द र गई है अन्य निर्ग्रन्थ श्रमणों को बुलाकर कहा-“देवानुप्रियो ! धर्मरुचि अनगार को मासखमण के डी र पारणे में कडुवा तुंबे का साग मिला था। वे उसे उचित स्थान पर उचित रीति से परठने के लिए टा 15 गए थे। उन्हें गये बहुत समय बीत गया है अतः तुम जाओ और चारों ओर उनकी खोज करो।" B ANXIETY OF THE GURU
17. On the other hand, when Sthavir Dharmaghosh realized that an unusually long time had passed since ascetic Dharmaruchi had left, he called IP other ascetics and said, "Ascetic Dharmaruchi had got bitter gourd curry for
breaking his fast. He had gone to throw it away at some proper place. A long a 5 time has passed since he went. As such, you should go and search for him.” र सूत्र १८ : तए णं ते समणा निग्गंथा जाव पडिसुणेति, पडिसुणित्ता धम्मघोसाणं थेराणं ड र अंतियाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणंट 15 करेमाणा जेणेव थंडिल्ले तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता धम्मरुइस्स अणगारस्स सरीरगंडा
र निप्पाणं निच्चेटुं जीवविप्पजढं पासंति, पासित्ता ‘हा हा ! अहो अकज्ज' मिति कट्ट धम्मरुइस्स ट 15 अणगारस्स परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेंति, करित्ता धम्मरुइस्स अणगारस्स आयारभंडगंड
गेण्हंति, गेण्हित्ता जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता गमणागमणं ड र पडिक्कमंति, पडिक्कमित्ता एवं वयासीर एवं खलु अम्हे तुब्भं अंतियाओ पडिनिक्खमाणो पडिनिक्खमित्ता सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स डा
परिपेरंतेणं धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेमाणा जेणेव थंडिल्ले से ((174)
JNĀTĀ DHARMA KATHĂNGA SŪTRA I FAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAI
AUGU
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