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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 5 वहाँ पहले से उपस्थित वासुदेव आदि राजाओं के निकट गया और हाथ जोड़ आदरपूर्वक उनका द र अभिनन्दन किया। फिर कृष्ण वासुदेव पर श्रेष्ठ चामर डुलाने लगा। ए 112. In the morning, King Drupad also got ready and displaying his el
grandeur and the army he also came out of Kampilyapur city riding an elephant (as in para 109). He entered the Svayamvar pavilion, approached Krishna Vasudev and the other kings, and joining his palms he extended his greetings with due respect. After that, he started fanning Krishna Vasudev with exquisite whisks. __सूत्र ११३ : तए णं सा दोवई रायवरकन्ना कल्लं पाउप्पभायाए जेणेव मज्जणघरे तेणेव से उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता पहाया जाव सुद्धप्पावेसाइंद मंगल्लाइं वत्थाई पवर-परिहिया जिणपडिमाणं अच्चणं करेइ, करित्ता जेणेव अंतेउरे तेणेवडा उवागच्छइ।
तए णं तं दोवइं रायवरकन्नं अंतेउरियाओ सव्वालंकारविभूसियं करेंति, किं दी र ते? वरपायत्तणेउर जाव चेडिया-चक्कावाल-मयहरग-विंदपरिक्खत्ता अंतेउरओ पडिणिक्खमइ, SI र पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ,
उवागच्छित्ता किड्डावियाए लेहियाए सद्धिं चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ। 2 सूत्र ११३ : उधर राजकुमारी द्रौपदी प्रभात होने पर स्नानागार में गई और स्नान करके उसने डा र शुद्ध और सभा में जाने योग्य माँगलिक व उत्तम वस्त्र पहने। फिर जिन प्रतिमाओं का पूजन अर्चना 15 किया (सम्पूर्ण वर्णन रायप्रश्नीय सूत्र के सूर्याभ देव वर्णन के अनुसार) और अन्तःपुर में लौट गई। दी
2 वहाँ अन्तःपुर में रही कुशल चेटका-महिलाओं आदि ने राजकुमारी द्रौपदी को सांगोपांग नूपुर र आदि विविध आभूषणों से अलंकृत कर दिया। फिर वह अनेक दासियों से घिर कर अन्तःपुर से टा
बाहर निकली और बाहरी सभा में आई जहाँ चार घण्टाओं वाला रथ तैयार खडा था। अपनी टी र क्रीड़ा-धात्री तथा लेखिका दासी के साथ वह रथ पर आरूढ़ हो गई।
113. In the morning Princess Draupadi went into her bathroom and a dressed herself in white and auspicious apparel suitable for the king's assembly. After this, she worshiped the Jin images (as mentioned in c Raipaseniya Sutra with the description of Suryaabh god) and returned to her room.
There the expert beauticians of the palace embellished her with Nupur and other ornaments, from head to feet. She left her room and surrounded by her maid servants came to the outer hall. With her Krida-Dhatri (playing nurse-maid) and scribe-maid she boarded a four-bell chariot.
सूत्र ११४ : तए णं धद्वज्जुण्णे कुमारे दोवईए कण्णाए सारत्थं करेइ। तए णं सा दोवईड रायवरकण्णा कंपिल्लपुरं नयरं मझंमज्झेणं जेणेव सयंवरमंडवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA JI EMAL MALINDINOMIALA
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