Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 295
________________ प्रज ( २३०) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र दा 5 son was prince Sunabh. At that moment King Padmanaabh was in his a 5 private quarters and sitting on a throne with his queens. 2 सूत्र १३९ : तए णं से कच्छुल्लणारए जेणेव अमरकंका रायहाणी, जेणेव पउमनाभस्सडी 5 भवणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पउमनाभस्स रन्नो भवणंसि झत्तिं वेगेणं समावइए। र तए णं से पउमणाभे राया कच्छुल्लं नारयं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता आसणाओ अब्भुढेइ, ड र अब्भुट्टित्ता अग्घेणं जाव आसणेणं उवणिमंतेइ। र सूत्र १३९ : कच्छुल्ल नारद राजधानी अमरकंका में आये और शीघ्र वेग से राजा के महल में र उतरे। नारद को आता देख राजा पद्मनाभ आसन से उठा और यथाशीघ्र आकर सत्कार कर अर्घ्य 2 द्वारा पूजा की और आसन पर बैठने का आग्रह किया। ___139. Kacchull Narad came to Amarkanka with great speed and landed in ट 5 the palace of King Padmanaabh. When he saw Narad coming King Padmanaabh got up from his seat and stepped forward. He gave Narad the traditional welcome by offering flowers and washing his feet and, offered him a seat. सूत्र १४0 : ते णं से कच्छुल्लणारए उदयपरिफोसियाए दब्भोवरिपच्चत्थुयाए भिसियाए । र निसीयइ, जाव कुसलोदंतं आपुच्छइ। 5 सूत्र १४0 : नारद ने जल छिड़क कर स्थान शुद्धि की और अपना आसन बिछा कर बैठ गये। र और राजा से कुशल समाचार पूछने लगे। 140. Kacchull Narad sprinkled water on the ground for purification, spread his grass mattress and sat down. He asked about the King's well ç being. सूत्र १४१ : तए णं से पउमनाभे राया णियगओरोहे जायविम्हए कच्छुल्लणारयं एवं ट 5 वयासी-'तुमं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामाणि जाव गेहाइं अणुपविससि, तं अत्थि याई ते कहिंचि ड ॥र देवाणुप्पिया एरिसए ओरोहे दिट्ठपुव्वे जारिसए णं मम ओरोहे? 15 सूत्र १४१ : अपनी रानियों के सौन्दर्य से प्रभावित दर्पाविष्ट (अंहकार में फूले) पद्मनाभ ने द र नारद से पूछा-“देवानुप्रिय ! आप तो अनेक ग्रामादि में जाते हैं और घरों में प्रवेश करते हैं, ड र कृपया बतायें कि आपने मेरे अन्तःपुर जैसा भी कोई अन्तःपुर कहीं देखा है ?" 15 141. Obsessed with the beauty of his queens and driven by his bloated ego डा 2 King Padmanaabh asked Kacchull Narad, "Beloved of gods! You wander around, go to numerous villages (etc.) and visit many a king (etc.). Tell me if you have ever come across any seraglio like mine?” Errrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrruuu (230) JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA A 卐innnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnny Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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