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UDDDDDDDDDDDDDDDD र सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
( १७७ ) 5 curry to such a noble soul as ascetic Dharmaruchi and caused his untimely S S) death.” । सूत्र २२ : तए णं ते समणा निग्गंथा धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म दे 5 चंपाए सिंघाडग-तिग जाव बहुजणस्स एवमाइक्खंति-धिरत्थु णं देवाणुप्पिया ! नागसिरीए SI P माहणीए जाव णिंबोलियाए, जाए णं तहारूवे साहू साहुरूवे सालइएणं जीवियाओ ववरोविए।' टा 5 सूत्र २२. स्थविर आचार्य के मुख से यह वृतान्त सुन-समझकर उन श्रमणों ने चम्पानगरी के डा 5 शृंगाटक आदि स्थानों पर अनेक लोगों के सामने इस कथन को दोहराया-“धिक्कार है उस नागश्री र को, जिसने इस प्रकार के साधुरूपधारी, मासखमण तप करने वाले, धर्मरुचि अनगार को कटुक टा 5 तुंबे का साग देकर मार डाला।"
22. After hearing all these details those ascetics went into the city and Rrepeated this statement before many people on crossings, roads and other & C such public places in Champa-“Curse that worthless, virtueless, (etc. ) द
Naagshri who is as hateful as the bitter margosa-berry, for she gave the bitter and toxic gourd curry to such a noble soul as ascetic Dharmaruchi and 5 caused his untimely death." र सूत्र २३ : तए णं तेसिं समणाणं अंतिए एयमटुं सोच्चा णिसम्म बहुजणो अन्नमनप्स ढ 15 एवमाइक्खइ, एवं भासइ-धिरत्थु णं नागसिरीए माहणीए जाव जीवियाओ ववरोविए।'
र सूत्र २३ : श्रमणों से यह सब वृत्तान्त सुन-समझकर लोग परस्पर चर्चा करने लगे-“धिक्कार है द 15 नागश्री ब्राह्मणी को जिसने असमय ही एक श्रेष्ठ मुनि को मार डाला।"
23. When the citizens heard the incident it became the talk of the town B and every one repeated—"Curse that Naagshri Brahmani who caused the 5 untimely death of a great ascetic."
नागश्री की दुर्दशा 15 सूत्र २४ : तए णं ते माहणा चंपाए नयरीए बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म
र आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणा जेणेव नागसिरी माहणी तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता ट रणागसिरि माहणिं एवं वयासी5 'हं भो नागसिरी ! अपत्थियपत्थिए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुण्णचाउद्दसे धिरत्थु णं तव टा र अधन्नाए अपुनाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभग-णिंबोलियाए, जाए णं तुमे तहारूवे साहू साहुरूवे दी 5मासखमणपारणगंसि सालइएणं जाव ववरोविए।' र उच्चावएहिं अक्कोसणाहिं अक्कोसंति, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेंति, उच्चावयाहिं रणिब्भत्थणाहिं णिब्भत्थंति, उच्चावयाहिं णिच्छोडणाहिं णिच्छोडेंति, तज्जेंति, तालेंति, तज्जेत्ता डा 15 तालेत्ता सयाओ गिहाओ निच्छुभंति ।
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