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सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
( २०१ )
अभिक्खणं हत्थे धोवसि जाव चेएसि, तं तुमं णं देवाणुप्पिए ! तस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडवज्जाहि ।
सूत्र ७१ : जब गोपालिका आर्या ने यह सब देखा तो वे सुकुमालिका से बोलीं- "हे देवानुप्रिये ! हम निर्ग्रन्थ साध्वियाँ हैं, ब्रह्मचारिणियाँ हैं। हमें शरीर के शोभा - संस्कार के प्रति इतनी आसक्ति नहीं दिखानी चाहिए । परन्तु तुम बार-बार हाथ पैर धोना आदि करने लगी हो अतः हे देवानुप्रिये ! तुम उस चारित्र - बकुशता ( चारित्र को दूषित करने वाले स्थान ) की आलोचना करो और यथाविधि प्रायश्चित्त अंगीकार करो। "
71. When Arya Gopalika saw all this she warned Sukumalika, “Beloved of gods! we are Nirgranth Shramanis and we are strictly celibate; as such we are not allowed to indulge in so much care of the body. But as you are washing your limbs (etc.) again and again, you should condemn this state of disgraceful conduct and do the prescribed atonement."
सूत्र ७२ : तए णं सूमालिया गोवालियाणं अज्जाणं एयमहं नो आढाइ, नो परिजाणइ, 'अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ । तए णं ताओ अज्जाओ सूमालियं अज्जं अभिक्खणं अभिक्खणं अभिहीलंति जाव परिभवंति अभिक्खणं अभिक्खणं एयमहं निवारेंति ।
सूत्र ७२ : सुकुमालिका ने आर्या- गोपालिका के इस आदेश-निर्देश का न तो आदर किया न उसे स्वीकार किया। वह पूर्ववत् ही जीवन चर्या करती रही । फलतः समूह की अन्य साध्वियाँ उसकी बार-बार अवहेलना, अनादर आदि करने लगीं और इस अनाचार करने से रोकने की चेष्टा करने लगीं।
72. Sukumalika neither believed nor accepted these instructions and directions of Arya Gopalika. She continued her adopted way of life. As a result of this the other Sadhvis of the group tried to restrain her from indulging in prohibited activities and started proscribing and disdaining her. । सुकुमालिका का पृथक् विहार
सूत्र ७३ : तए णं तीसे सूमालियाए समणीहिं निग्गंथीहिं हीलिज्जमाणीए जाव वारिज्जमाणीए इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था - 'जया णं अहं अगारवासमझे वसामि, तया णं अहं अप्पवसा, जया णं अहं मुंडे पव्वइया, तया णं अहं परवसा, पुव्विं च ममं समणीओ आढायति, इयाणिं नो आढायंति, तं सेयं खुल मम कल्लं पाउप्पभायाए गोवालियाणं अंतियाओ पडिणिक्खमित्ता पाडिएकं उवस्सगं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए' त्ति ) कटटु एवं संपेहेइ, संपैहित्ता कल्लं पाउप्पभायाए गोवालियाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता पाडिएकं उवस्सगं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ ।
CHAPTER - 16 : AMARKANKA
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