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UUUजन P सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका 5 सूत्र ८८ : तब श्रीकृष्ण वासुदेव ने अपने सेवकों को बुलाकर कहा-हे देवानुप्रियो ! शीघ्र ही डा रे मेरे लिए अभिषेक किए हुए हस्तीरत्न को तैयार करो तथा घोड़ों, हाथियों युक्त चतुरंगिनी सेना ।
र सजाओ। सेवकों ने आज्ञा पालन कर सूचित किया। 5 88. Now Krishna Vasudev called his attendants and instructed them, 1
"Beloved of gods! Get an elephant ready for me after due anointing and prepare the four pronged army to march.” The servants did as told and
reported back. 15 सूत्र ८९ : तए णं से कण्हे वासुदेव जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता
र समुत्तजाला-कुलाभिरामे जाव अंजणगिरिकूडसंनिभं गयवई नरवई दुरूढे। 5 तए णं से कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयापामुक्खेहिं दसहिं दसारेहिं जाव अणंगसेणापामुक्खेहिं र अणेगाहिं गणियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव रवेणं बारवई नयरिं मझमज्झेणं 5 निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता सुरद्वाजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ, र उवागच्छित्ता पंचालजणवयस्स मज्झमझेणं जेणेव कंपिल्लपुरे नयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। 5 सूत्र ८९ : श्रीकृष्ण वासुदेव तब स्नानगृह में गये और स्नानादि कर वस्त्रालंकारों से विभूषित द र हो अंजनगिरि के शिखर के समान गजपति पर वे नरपति आरूढ़ हो गये। 5 इसके बाद कृष्णवासुदेव समुद्रविजय आदि दस दशार (महान् पुरुषों) यावत् अनंगसेना आदि द 5 कई हजार गणिकाओं के परिवार से घिरे पूर्ण वैभव तथा गाजे बाजे के साथ द्वारिका नगरी के डा र बीचोंबीच होते हुए नगर से बाहर निकले और सुराष्ट्र जनपद के बीच होते हुए देश की सीमा पर ट्र र पहुँचे। वहाँ से पांचाल जनपद के बीच होते हुए कांपिल्यपुर की ओर जाने को तैयार हुए। 5 89. Krishna Vasudev went to his bathroom and got ready after taking his 51 bath and adorning himself with his dress and ornaments. And then the king
of men' rode the king elephant. Now, Krishna Vasudev, surrounded by ten 5 Dashars including Samudravijay, other dignitaries (as detailed in para 81), and also thousands of courtesans including Anangsena, and with all his grandeur and pomp and show, marched through the city of Dwarka and crossing the Surashtra state reached the border. Here they commenced
preparations for marching into Panchal state to reach Kampilyapur city. 15 अन्य जनपदों में दूत भेजना 5 सूत्र ९० : तए णं से दुवए राया दोच्चं दूयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी-'गच्छह णं दा
तुमं देवाणुप्पिया ! हथिणाउरं नगरं। तत्थ णं तुमं पंडुरायं सपुत्तयं-जुहिट्ठिलं भीमसेणं अज्जुणंडी र नउलं सहदेवं, दुज्जोहणं भाइसयसमग्गं, गंगेयं, विदुरं, दोणं, जयद्दहं, सउणिं, कीवं, आसत्थाम 5 करयल जाव कट्ट तहेव समोसरह।' 5 CHAPTER-16 : AMARKANKA LANAAAAAAAAL
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