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जाज ( १८०)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र दा P PASSAGE THROUGH HELLS
27. After completing the life span in the sixth hell she was born as a fish. Here she got a painful death by some weapon. She reincarnated in the seventh hell. The maximum life span in this hell is thirty three Sagaropam. S
सूत्र २८ : सा णं तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि मच्छेसु उववज्जइ, तत्थ वि य णंद र सत्थवज्झा दाहवकंतीए दोच्चं पि अहे सत्तमीए पुढवीए उक्कोसं तेत्तीससागरोवमठिइएसु नेरइएसुड एउववज्जइ।
सूत्र २८ : सातवें नरक से निकलकर वह नागश्री पुनः मत्स्य योनि में जन्मी, और वहाँ से फिर ड र शस्त्र से वध किये जाने पर दाह युक्त मृत्यु प्राप्त कर पुनः सातवें नरक में उत्पन्न हुई। → 28. After completing the life span in the seventh hell she was again born S 2 as a fish. Here also she got a painful death by some weapon and again a Breincarnated in the seventh hell.
सूत्र २९ : सा णं तओहिंतो जाव उव्वट्टित्ता तच्चं पि मच्छेसु उववन्ना, तत्थ वि य णं हा र सत्थवज्झा जाव कालं किच्चा दोच्वं पि छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवमठिइएसु नरएसुटा र उववन्ना।
सूत्र २९. सातवें नरक से निकलकर नागश्री एक बार फिर मत्स्य योनि में गई और वहाँ से टा 5 फिर शस्त्र से मृत्यु प्राप्त कर दुबारा छठे नरक में गई। वहां नारकी जीवों की उत्कृष्ट आयु बावीस र सागरोपम है।
29. After completing the life span in the seventh hell she was once again $ born as a fish. Here also she got a painful death by some weapon and 9 2 reincarnated in the sixth hell for the second time. 5 सूत्र ३० : तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता उरएसु, एवं जहा गोसाले तहा नेयव्वं। जाव रयणप्पहाए ड र सत्तसु उववन्ना। तओ उववट्टित्ता जाव इमाइं खहयरविहाणाइं जाव अदुत्तरं च णं खरबायर-2 15 पुढविकाइयत्ताए तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो।
र सूत्र ३० छठे नरक से निकलकर वह उरपरिसर्प (सर्प) योनि में गई। इसी प्रकार गोशालक के ट 15 समान (भगवती सूत्र के अनुसार) वह रत्नप्रभा आदि सातों नरक भूमियों में उत्पन्न हुई। फिर दी 15 पक्षियों (खेचरों) की विविध योनियों में जन्मी और फिर लाखों बार खर (कठिन) बादर S1
र पृथ्वीकायिक जीवों के रूप में उत्पन्न हुई। 15 30. From the sixth hell she went to the reptile species. This way in her
cycle of rebirths she drifted to all the seven hells including Ratnaprabha as 12 detailed about Goshalak in the Bhagavati Sutra. After this she drifted from र (180)
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