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जपण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ड
प्रज र सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
( १६७ ) 2 15 3. In Champa lived three Brahman brothers named Som, Somdatt, and S
Sombhuti. They were rich as well as scholars of Vedas and other Brahman scriptures.
The names of the wives of these brothers were Naagshri, Bhootshri, and a 5 Yajnashri respectively. They were beautiful and delicate and were loved by
their respective husbands. They led a happy life enjoying all human
pleasures. र सूत्र ४ : तए णं तेसिं माहणाणं अन्नया कयाई एगयओ सहियाणं समुवागयाणं, जावट 15 इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमे विपुले धणे ड र जाव सावतेज्जे अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं, पकामं भोत्तुं, पकामं र परिभाएउं, तं सेयं खलु अहं देवाणुप्पिया ! अन्नमन्नस्स गिहेसु कल्लाकल्लिं विपुलं असणं पाणंद 15 खाइमं साइमं उवक्खडेउं उवक्खडेउं परिभुजेमाणाणं विहरित्तए।
र अन्नमन्नस्स एयमटुं पडिसुणेति, कल्लाकल्लिं अन्नमन्नस्स गिहेसु विपुलं असणं पाणं खाइमं द 15 साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावित्ता परिभुंजेमाणा विहरंति।
र सूत्र ४ : एक बार जब वे तीनों भाई साथ बैठे तो उनके बीच इसप्रकार बातचीत हुई-द 15 "देवानुप्रियो ! हमारे पास प्रचुर धन-वैभव आदि विद्यमान है जो सात पीढ़ियों तक देने, भोगने दी र और बाँटने के लिये यथेष्ट है। अतः हे देवानुप्रियो ! हम लोगों के लिए नित्य बारी-बारी से डा र एक-दूसरे के घर बहुत-सी भोजन सामग्री बनवाकर एक साथ बैठकर खाना अच्छा होगा।' 15 तीनों बंधु इस बात पर सहमत हो गये और दूसरे दिन से ही वे एक दूसरे के घरों में भोजन
र आदि सामग्री बनवाकर साथ-साथ भोजन करने लगे। 5 4. One day when the three brothers were sitting together they talked,
Beloved of gods! We have great wealth and grandeur, enough to last seven > generations of use as well as distribution. So we should prepare rich food and enjoy it together each day in turn at one brother's residence."
All three agreed to the plan and started acting on it the very next day. र कटु तुंबे का शाक 15 सूत्र ५ : तए णं तीसे नागसिरीए माहणीए अन्नया भोयणवारए जाए यावि होत्था। तए णंड
र सा नागसिरी विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उक्क्खडेइ, उवक्खडित्ता एगं महं सालइयंट 15 तित्तालाउअं बहूसंभार-संजुत्तं णेहावगाढं उवक्खडेइ, एग बिदुयं करयलंसि आसाइए, तं खारं ड र कडुयं अखज्जं अभोज्जं विसब्भूयं जाणित्ता एवं वयासी-धिरत्थु णं मम नागसिरीए अहन्नाए टा र अपुनाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभगणिंबोलियाए, जीए णं मए सालइए बहुसंभारसंभिए दी 15 नेहावगाढे उवक्खडिए सुबहुदव्वक्खए नेहक्खए य कए। 15 CHAPTER-16: AMARKANKA
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