Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
Publisher: Padma Prakashan

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Page 230
________________ भण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ज फ र सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका ( १७१ ) SH 15 review of his movement (Iryapathic Pratikraman), arranged the food he had cl 15 brought and showed it to his guru. र सूत्र १२ : तए णं ते धम्मघोसा थेरा तस्स सालइयस्स नेहावगाढस्स गंधण अभिभूया सा 15 समाणा तओ सालइयाओ नेहावगाढाओ एगं बिंदुगं गहाय करयलंसि आसाएइ, तित्तगं खार-S र कडुयं अखज्जं अभोज्जं विसभूयं जाणित्ता धम्मरुइं अणगारं एवं वयासी-'जइ णं तुमंट 5 देवाणुप्पिया ! एयं सालइयं जाव नेहावगाढं आहारेसि तो णं तुमं अकाले चेव जीवियाओ डा र ववरोविज्जसि, तं मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं सालइयं जाव आहारेसि, मा णं तुम अकाले टा रचेव जीवियाओ ववरोविज्जसि। तं गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं सालइयं एगंतमणावाए द 15 अचित्ते थंडिले परिवेहि, परिढवित्ता अन्नं फासुयं एसणिज्जं असणं पाणं खाइमं साइमंड र पडिगाहेत्ता आहारं आहारेहि।' 15 सूत्र १२ : धर्मघोष स्थविर उस शाक में से निकलती गंध से उद्विग्न और विचलित हो गए। ड र उसमें से एक बूंद हथेली में लेकर चखा। उस सब्जी को तीखी, खारी, कडुवी और विष के समान है र अखाद्य जानकर वे बोले-“देवानुप्रिय ! यदि तुम यह तुंबे की सब्जी खाओगे तो तुम्हारी अकाल ८ 15 मृत्यु हो जायेगी। अतः तुम यह सब्जी मत खाना, ऐसा न हो कि तुम खा लो और तुम्हारे प्राणों का र असमय ही अन्त हो जाए। हे देवानुप्रिय ! तुम जाओ और किसी एकान्त, आवागमन रहित, उचित र एवं अचित्त भूमि (जहां जीव हिंसा की संभावना न हो) में सावधानी पूर्वक परट दो (डाल दो) 15 और पुनः दूसरा प्रासुक और एषणीय आहार ग्रहण करो और वही खाओ।" र 12. Sthavir Dharmaghosh was disturbed by the repulsive smell Remanating from the curry. He took a drop and tasted it. Realizing that it was I hot, pungent, bitter, and repugnant like poison, he said, “Beloved of gods! If 5 you eat this gourd curry you will die instantly. As such you should not eat 5 this curry. Beloved of gods! Go, search for an isolated, unfrequented, proper 5and life-less spot (where there are no insects, vegetation or other form of life), where there is no chance of destruction of life, and carefully pour out this > curry. Collect other suitable food and eat that only." 5स्वशरीर में प्रवेश 5 सूत्र १३ : तए णं से धम्मरुई अणगारे धम्मघोसेणं थेरेणं एवं वुत्ते समाणे धम्मघोसस्स डी रथेरस्स अंतियाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता, सुभूमिभागाओ उज्जाणाओ अदूरसामते हा थंडिल्लं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता तओ सालइयाओ एगं बिंदुगं गहेइ गहित्ता थंडिलंसि निसिरइ। र सूत्र १३ : धर्मघोष स्थविर की यह बात सुनकर धर्मरुचि अनगार वहाँ से निकले और सुभूमि ट्री रभाग उद्यान से कुछ दूर एक अचित्त (जीव रहित) स्थान को देख-भाल कर साग की एक बूंद वहाँ ट 15 डाली। PTER-16 : AMARKANKA (171) FAAAAAAAAAnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnANER Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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