________________
अभिनव प्राकृत-व्याकरण
ण उणा<न पुन:—आ आदेश हुआ है। ण उणाई <न पुन:-आइ आदेश हुआ है।
ण उण <न पुनः-विकल्प भाव पक्ष में । (३९) अव्ययों में और उत्खात, चामर, कालक, स्थापित, प्रतिस्थापित, संस्थापित, प्राकृत, तालवृन्त, हालिक, नाराव्य, बलाका, कुमार, खादित, ब्राह्मण एवं पूर्वाह्न शब्दों में आदि आकार का अकार विकल्प से होता है।' मज्जारो माज्जारो (मार्जार:
मरलो, मरालो<मरालः पत्थरो, पत्थारो प्रस्तार: पहरो, पहारो< प्रहारः
जह, जहा< यथा तह, तहा< तथा
अहव, अहवा< अथवा उक्खअं, उक्खाअं< उत्खातम् चमरं, चामरं< चामरम् कलओ, कालओ< कालकः ठविअं, ठाविअं< स्थापितम् परिठविअं, परिठाविर प्रतिष्ठापितम् संठविअं, संठाविअं< संस्थापितम् पउअं, पाउअं< प्राकृतम् तलवेण्ट, तालवेण्टं < तालवृन्तम् हलिओ, हालिओ< हालिका णराओ, णराओ< नाराय: वलाआ, वलाआ< बलाका कुमरो, कुमारो<कुमारः खइअं, खाइअं< खादितम् । बम्हणो, बाम्हणो ब्राह्मणः पुव्वण्हो, पुव्याण्हो< पूर्वाः दवग्गी, दावग्गी<दवाग्निः चाडू , चडू< चाटुः
(४०) घन को निमित्त मानकर जहां आ रूप वृद्धि हुई हो, उस आदि आकार का विकल्प से अत्व होता है। जैसे
पवहो, पवाहो< प्रवाहः पअरो, पआरो< प्रकारः पत्थवो, पत्थावो< प्रस्ताव:
अपवाद--कुछ घान्त शब्दों में यह नियम लागू नहीं होता। जैसेराओ< राग: ( ४१ ) मांस आदि शब्दों में अनुस्वार रहने पर आदि आकार का अत्व होता
१. वाव्ययोत्खातादावदातः ७।१।६८. अव्ययेषु उत्खातादिषु च शब्देषु आदेराकारस्य अद् ___ वा भवति। हे। २. घन वृद्धर्वा ८।१।६८. घन निमित्तो यो वृद्धिरूप आकारस्तस्यादिभूतस्य अद् वा
भवति। हे। ३, मांसदिष्वनुस्वारे ८।१७०. मांसप्रकारेषु अनुस्वारे सति प्रादेरातः अद् भवति । हे ।