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अभिनव प्राकृत व्याकरण
शौरसेनी के भविष्यत्काल के प्रत्यय
एकवचन
प्र० पु० म० पु०
उ० पु०
बहुवचन
रिसति, स्सिते, स्सिइरे
( Thrid Person) स्पिदि, स्सिदे (Second Person) स्थिति, स्सिसे
स्लिह, स्सिध, स्सिइस्था
( First Person) स्सं, स्सिमि
सिमो, स्सिमु, स्लिम
भूतकाल, आज्ञा एवं विधि में प्राकृत के समान ही प्रत्यय होते हैं।
एकवचन
प्र० पु० हसदि, हसेदे म० पु० हससि, इससे
उ० पु० हसमि, हसे मि
हसू धातु के रूप
वर्तमानकाल
भविष्यत्काल-भण
एकवचन
प्र० पु० भणिस्सिदि, भणेस्सि दि भणिस्सिदे, भणेस्सिदे
म० पु० भणिस्सिसि, भणिसि से उ० पु०
बहुवचन
हसन्ति, हसंते, हसिरे, हसइरे
हत्था, हसघ, हद्द
हसमो, हसमु, हसम, हसिमो, हसिमु इसिम, हसेमो, इसे, इसेम
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बहुवचन
भणिस्थिति, भणेस्सिति, भणिस्सिते भणेस्लें ते, भणिस्सिइरे, भणेस्सिइरे
भणिसिह, भणिस्सिध, भणिस्सिइत्था
भणिस्सिमो भणिस्सिमु, भणिस्सिम
भणिस्सं, भणिस्सिमि
"
अन्य सभी धातुओं के रूप इस और भण के समान होते हैं ।
कृत् प्रत्यय
( ४६ ) शौरसेनी में क्त्वा प्रत्यय के स्थान पर इय, दूण और ता प्रत्यय होते हैं । यथा
इय
भू + क्त्वा - इय = भविय भूत्वा
हवियदभूत्वा
पढ + इ = पदिय पठित्वा