________________
४६६
. अभिनव प्राकृत-व्याकरण ( ६३ ) अपभ्रंश में प्रथमा और द्वितीया के बहुवचन में अदस् शब्द के स्थान में ओइ आदेश होता है । यथा
ओइ < अमूनि ।
(५४ ) अपभ्रंश में प्रथमा और द्वितीया के बहुवचन में एतद् शब्द के स्थान पर एइ आदेश होता है । यथा
एइ पेच्छ । एतान् प्रेक्षस्व । .. (५९) अपभ्रंश में इदम् शब्द के स्थान पर आय आदेश होता है । यथाआयइइमानि; आयेण< एतेन; आपहो< अस्य । अपभ्रंश में सर्व शब्द के स्थान में विकल्प से साह आदेश होता है । यथासाहु वि लोउ. सव्वु वि लोउ सर्वोऽपि लोकः ।
( ५६ ) अपभ्रंश में किम् शब्द के स्थान में विकल्प से काई और कवण आदेश होते हैं। यथा
काई न दूरे देक्खइ < किं न दूरे पश्यति । ताहँ पराई कवण घृण<< तयोः परकीया का घृणा । किं गजहि खल मेह < कि गर्जसि खल मेघः । पुल्लिङ्ग अकारान्त शब्दों में जोड़े जानेवाले विभक्ति-प्रत्यय एकवचन
बहुवचन प० उ, ओ,. वी० उ,०
ए, एं ण सु, स्सु, हो, .
.
2
M24. Gave gh.
सु, स्सु, हो, .
प०
देव शब्द के रूप एकवचन
बहुवचन देव, देवो, देव
देव, देवा देवु, देव, देवा
देव, देवा देवे, देवे, देवेण
देवहि, देवेहि देव, देवसु, देवस्सु, देवहो देवह
वी० त० च०