Book Title: Abhinav Prakrit Vyakaran
Author(s): N C Shastri
Publisher: Tara Publications
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५०८
परिशिष्ट ३
२१४
जइ जओ जत्थ
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ओमल्ल ओसरइ, अवसरह २१४ ओसरिअं ____ अवसरिक्षं २१४ अंतरं
२१४ अंतो
२१६
जह-जहा
एकइआ, एक्कइआ २१६ एक्कया
२१६ एक्कसरि एक्कसि एक्कसि एगइया, एगया २१६ एगझं एगयओ २१६ एगंततो एतावता एत्थ, एत्थं एयावया
२१६ एवमेव
जह-तहा जहेय जाव जे
२१७ २१७
इओ
२१७
२१६
इक्कसरिअं इकसि, इक्कसि इञ्चत्थो इत्थतं इयाणि
२१६ २१६ २१६
झगिति भत्ति ण,
३१७
एव
9 ~
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एवं
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इर
कओ
२१६
णमो
वरि णवरं
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२१६
कत्थइ
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इहयं
कल्लं
२१६
२१६
कह
२१४
२१७
२१६ इहरा ईसि, ईसि उग्गओ उगच्छद २१४ उच्च
२१६ उझायो, ओझायो, ___ उवज्झायो २१९ उत्तरओ उत्तरसुवे उप्पत्तिा २१४ उप्पि
२१६ उवरि, उवरि उवहर उवासणा २१५ एअं
२१६
२१६
कहि
२१६ कालओ काहे किंचि किण्णा,किंणा,किणो २१७ किमवि किर, किल वेणचिरं २१७ केवच्चिरेग केवलं कोइ, कोवि
२१५ खलु, खु चिअ, चेअ २१७
আগা
२१७ मिच्चं, निच्चं णिवेसो णूण, णूणं जो तए तओ, तत्तो, ततो २१० तत्थ तप्पमिइं तह, तहा तहि, तहिं तहव तिरिय
२१७ तिरो ती तु ।
२१७

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