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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
दूण
भू + दूण = भोदूण भूत्वा हो + दूण = होदूण< भूत्वा
पढ + दूण = पढिदूण < पठित्वा त्ता
भू + ता = भोत्ता< भूत्वा हो +त्ता होत्तारभूत्वा
पढ + ता = पठित्ता< पठित्वा ( ४७ ) शौरसेनी में क और गम धातुओं से पर में आनेवाले क्त्वा प्रत्यय के स्थान में विकल्प से अडुअ आदेश होता है और धातु के रि का लोप होता है। यथा
कृ + क्त्वा = क + अडुअ (टि-अ का लोप) = कडुअर कृत्वा । गम् + +क्त्वा=गम् + अडुअ (रि-अम् का लोप) = गडुअ< गत्वा । विकल्पाभाव पक्ष में क-कर + इय = करिया कत्वा । कर + दूण = करिदूण; कर + त्ता = करित्ता। गम्-गच्छ + इय = गच्छिय; गच्छ + दूण = गच्छिदूण । ( ४८ ) अवशेष कदन्त रूपों में त के स्थान पर द कर दिया जाता है । यथाभू + तव्यं हो + तव्वं = होदव्वं < भवितव्यम् ।
कुछ शौरसेनी धातु संस्कृत शौरसेनी
क्रियारूप भो या हो
भोदि, होदि पेच्छ
पेच्छदि दुच्च
बुच्चदि कधेदि
जिग्यदि भाअ
भाअदि
फुसदि घुम्म थुण
थुणादि
भादि पस
पसदि चवदि
कध
जिग्घ
घुम्मदि
भा
चव्व