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अभिनव प्राकृत-व्याकरण मतुबर्थक प्रत्यय
(५४ ) हिन्दी में जो अर्थ वान् या घाला आदि प्रत्ययों के द्वारा सूचित किया जाता है, अर्धमागधी में वह अर्थ मन्त, न्त, इण आदि प्रत्ययों से । मन्त प्रत्यय जोड़ते समय म के स्थान पर विकल्प से व आदेश होता है । यथा
वण्ण + मन्त = वण्णवन्तो-विकल्प से त का लोप न का अनुस्वार होने से वण्णवं < वर्णवान् रूप बनेगा।
___भग + मन्तो = भगवन्तो, भगवं भगवान् ; वीइ + मन्तो = वीइमन्तोर वीचिमान् ; जाति + मन्तो = जातिमन्तो< जातिमान् ; तिसूलो इमस्य अस्थितिसूलिओ-तिसूल + इय = तिसूलिओर त्रिशूलिकः , गंठी अस्थि अस्सि-गठिलोगंठि+ko = गंठिल्लो ग्रन्थिमान् ; माया अस्थि इमस्स–माइल्लो-माया + इल्ल-यकार का लोप = माइल्लो< मायावी; कलुणा अस्थि इमस्स-कलुणो< करुणः; आउस + न्त-आउसन्तो<आयुष्मान् ।
गो+ मन्त-गोमी, गोमिणी-मन्त प्रत्यय के स्थान पर मी और मिणी आदेश होता है।
जस + मन्त-जसवन्ती, जसमन्तो यशस्वीन्
आयार + मन्त–आयारवन्तो, आयारमन्तो< आचारवान् ; गति + मन्त = णतिवन्तो, णाइवं र ज्ञातिवान् ; वुसि + मन्त = वुसिमन्तो< वशी।
जय + इण-जइणोजयी; दोसि + इगो = दोसिणो दोषी; वरहि + इण = बरहिणो< बही; किमि + ण = किमिणो< कृमिमान् ; पंक + मन्त-स्त्रीलिडविवक्षा में आकारान्त आदेश और म के स्थान पर व, न का लोप तथा डीप प्रत्यय होने से पंकावती रूप बनता है।
(५५) गन्ध, तुन्द आदि शब्दों से इल प्रत्यय होता है । यथागन्ध + इल = गन्धिलो, तुन्द + इल = तुन्दिलो तुन्दिलः ।
( ५६ ) जडा शब्द को इल प्रत्यय होने से प्रत्यय सहित विकल्प से जडुल और जडियाल का निपातन होता है। यथा
जडा + इल = जडुलो, जडियालो, जडिलो<< जटिलः । ( ६७ ) रय शब्द से विकल्प से स्सल प्रत्यय होता है । यथारय+स्सला = रयस्वला, रइला--विकल्प से इल प्रत्यय होने पर रजस्वला । ( ५८ ) पम्हादि शब्दों से मतुबर्थ में विकल्प से ल प्रत्यय होता है । यथा
पम्ह + ल = पम्हलो< पक्ष्मलः, पत्त + ल = पत्तलो पत्रलः, तणु + ल = तणुलो तनुलः। ... .......