________________
४०३
अभिनव प्राकृत-व्याकरण (११) मागधी में प्रेक्ष और आचक्ष के स्थान पर स्क आदेश होता है। यथा- .
पेस्कदिरप्रेक्षते-संयुक्त रेफ का लोप होने से प्र के स्थान पर प, स के स्थान पर स्क तथा त को द। मागधी में ति और ते इन दोनों के स्थान पर दि आदेश होता है।
(१२) मागधी में हृदय शब्द के स्थान पर हडक्क आदेश होता है। यथा
हडक्के आलले मम< हृदये आदरो मम हृदय के स्थान पर हडके आदेश, तथा द और र के स्थान पर ल, प्रथमा एकवचन में विभक्ति ए का संयोग ।
(१३ ) मागधी में अस्मद् शब्द को प्रथमा एकवचन में सु विभक्ति में हके, हगे और अहके ये तीन आदेश होते हैं। यथा
हके, हगे, अहके भणामि < अहं भणामि ।।
(१४ ) मागधी में शृगाल शब्द के स्थान पर शिआल और शिआलक आदेश होते हैं। यथाशिआले आअच्छदि, शिआलके आअच्छदिशृगाल आगच्छति ।
शब्दरूपों के नियम (१५) मागधी में प्रथमा एकवचन में एत्व होता है । यथा-पुलिशे < पुरुषः ।
(१६ ) मागधी में अवर्ण से पर में आनेवाले उस्-षष्ठी के एकवचन के स्थान में विकल्प से आह आदेश होता है। आह के पूर्ववर्ती टि का लोप होता है। यथा
हगे न ईदिशाह कम्माह काली < अहं न ईदृशस्य कर्मण: कारी; भगदत्त-शोणिदाह कुंभे; पक्ष में-भीमशेणस्स पश्चादो हिण्डीअदि ।
(१७) मागधी में अवर्ण से पर में विद्यमान आम् के स्थान में विकल्प से आह आदेश होता है और पूर्व केटि का लोप हो जाता है। यथा
आहे-येषाम्; विकल्पाभाव से-याणं येषाम् । (१८) मागधी में अहम् और वयं के स्थान पर हगे आदेश होता है। यथाहगे शक्कावदालतिस्वणिवाशी धीवले ८ अहं शक्रावतारतीर्थनिवासी धीवरः।
( १९ ) मागधी में अकारान्त शब्दों को सुपर रहते इ, ए होते हैं और सु का लोप होता है। यथा
एशि लाआदएष राजा-यहां ष को श और अकार को इकार । एशे पुलिशेदएष पुरुष:-एत्व होने से एशे होता है।
१. स्कः प्रेक्षाचक्षोः ८।४२६७।
२. हृदस्य हडकः ११३६ वर० । ३. अस्मदः सौ हके-हगे-प्रहके ११६ वर० । ४. शृगालशब्दस्य शिप्रालाशिबालकाः ११।१७ वर० । ५. प्रवर्णाद्वा ङसो डाहः ८।४।२६६ हे० । ६. प्रामो डाहँ वा ८।४।३०० हे । ७. महंवयमोहंगे ८।४।३०१ हे०। ८. प्रत इदेतो लुक्च ११।१० व० ।