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अभिनव प्राकृत-व्याकरण सुओ< उत्सुक:-उ के स्थान पर ऊ, तू का लोप तथा क का लोप और विसर्ग को ओत्व ।
ऊसुवो< उत्सव:- , , व का लोप और विसर्ग को ओत्व ।
ऊसित्तो< उत्सित्त:-उ के स्थान पर ऊ तू का लोप और संयुक्त क्त में से क का लोप तथा अवशेष तू को द्वित्व।
अच्छुओ< उच्छुक:-उ के स्थान में उत्व और क का लोप, विसर्ग को ओत्व । विशेष-उच्छाहो < उत्साह-यहां दीर्घ उकार नहीं हुआ है।
उच्छण्णो< उच्छन्न- , , , (७८) दुर् उपसर्ग के रेफ का लोप हो जाने पर हस्व उ का दीर्घ ऊ विकल्प से होता है। जैसे
दूसहो, दुसओ< दुस्सहः--दूसरा रूप विकल्पाभाव पक्ष का है।
दूहओ, दुहओ<दुर्भगः(७९) संयुक्त अधरों के पर में रहने पर पूर्ववर्ती प्रथम उकार का ओकार होता है। जैसे
तोण्डं तुण्डम्-उकार के स्थान पर ओकार हुआ है। मोण्डमुण्डम्
पोक्खरं ८ पुष्करम्-पु में रहनेवाले उकार के स्थान पर ओकार तथा एक के स्थान पर क्ख ।
कोट्टिमंद कुटिमम्-उकार के स्थान पर ओकार ।
पोत्थअं< पुस्तकम्-उकार के स्थान पर मोकार तथा स्त के स्थान पर स्थ और क का लोप, शेष अ ।
लोद्धओ< लुब्धकः-उकार के स्थान पर ओत्व, ब् का लोप और ध को द्वित्व।
मोत्तादमुक्ता-उकार के स्थान पर ओकार, संयुक्त क् का लोप और त् को द्वित्व ।
६. लुकि दुरो वा ८।१।११५. । हे० । १. प्रोत्संयोगे ८।१।११५. हे०
तुण्डादिगरण के शब्द-- तुण्डकुट्टिमकुद्दालमुक्तामुद्गरलुब्धकाः । . पुस्तकन्चैवमन्येऽपि कुग्मीकुन्तलपुष्कराः ॥ कल्पलतिका