________________
१०८
अभिनव प्राकृत - व्याकरण
( ख ) ओ - ऊ -
सुसासो - सोच्छ्वासः - सकारोत्तर ओकार को ऊकार ।
( ग ) ओ = अउ -
गउओ <गोक: —गकारोत्तर ओकार को अउ, क लोप, अ स्वर शेष, विसर्ग
को ओत् ।
गउआगोका - गकारोत्तर ओकार को अउ, क लोप, आ स्वर शेष ।
गउ, गऊ <गो—
(घ) ओ = आऊ -
गाऊ गो-ओकार को आऊ हुआ है।
99
-
39
( १० ) संस्कृत की औ ध्वनि का प्राकृत में अउ, आ, उ, आव और ओ में परिवर्तन होता है ।
( क ) औ = अउ -
करवो कौरवः - ओकार के स्थान पर अउ तथा विसर्ग को ओत्व । कउलो < कौल:—
"
"
""
कउसलं < कौशलम् - ककारोत्तर औकार को अउ, तालव्य श को दन्त्य स । गउडो गौडः - गकारोतर औकार को अउ । गडरवं< गौरवम् —,,
""
पउरो < पौर:- पकारोत्तर औकार के स्थान पर अउ । परिसं पौरुषम्
"
,"
""
उणं मौनम् - मकारोत्तर औकार के स्थान में अउ, न कोण । मउली < मौलि:
99
23
सउहंद सौधम् - सकारोत्तर औकार को अउ तथा ध के स्थान पर ह । सउरा < सौरा:
,, मूर्धन्य ष को स तथा रु को रि ।
"2
"
( ख ) औ = आ
गारवम् <गौरवम् - औकार के स्थान आकार ।
( ग ) औ = उ
दुवारिओ दौवारिकः - दकारोत्तर औकार के स्थान पर उ, क का लोप, अ स्वर शेष तथा विसर्ग को ओत्व ।
पुलोमी ८ पौलोमी - पकारोत्तर औकार को उत्व ।
मुंजाणो मौज्जायन :- मकारोत्तर औकार को उत्व |
सुंडो शौण्डः -शकार के स्थान में दन्ध्य स तथा औकार को उत्व |