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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
१३१ . (ख) स्प= फफंदणंदस्पन्दनम्-पदादि में रहने से स्प के स्थान पर फ। पडिप्फदी र प्रतिस्पर्धी–पद के मध्य में रहने से स्प के स्थान में प्फ । वुहप्फईबृहस्पतिः
(५१) संस्कृत का संयुक्त वर्ण ह प्राकत में भ हो जाता है, पर पदमध्य में आने पर विकल्प से ब्भ होता है।
जिब्भा, जीहा< जिह्वा-पद मध्य में रहने से ह्व के स्थान में विकल्प से ब्भ, विकल्पाभाव में संयुक्त व का लोप और पूर्व इकार को दीर्घ ।
विब्भलो, विहलो< विह्वल:-पदमध्य में रहने से ह को विकल्प से ब्भ तथा विकल्पाभाव पक्ष में संयुक्त व का लोप और विसर्ग का ओत्व ।
(६२ ) संस्कृत का संयुक्त वर्ण न्म प्राकृत में म्म हो जाता है। जम्मो< जन्म-न्म के स्थान पर म्म ।
बम्महोद मन्मथ:-न्म के स्थान पर म्म तथा थ के स्थान में ह, विसर्ग को ओत्व ।
मम्मणं मन्मन:-न्म के स्थान पर म्म तथा नकार को गत्व ।
( ५३ ) संस्कृत के संयुक्त वर्ण ग्म के स्थान पर प्राकृत में विकल्प से म्म का परिवर्तन हो जाता है।
तिम्म, तिग्गं< तिग्मम् -ग्म के स्थान पर विकल्प से म्म, विकल्पाभाव में संयुक्त म का लोप और ग को द्वित्व ।
जुम्मं, जुग्गं< युग्मम्-य को ज, ग्म को विकल्प से म्म, विकल्पाभाव में संयुक्त म का लोप और ग को द्वित्व ।
(५४) संस्कृत के संयुक्त वर्ण श्म, म, स्म, ह्म और क्ष्म के स्थान पर प्राकृत में म्ह हो जाता है। ( क ) श्म = म्ह
कम्हारा < कश्मीरा:-श्म के स्थान में म्ह तथा ईकार को आकार ।
कुम्हाणो कुश्मान:-श्म के स्थान में म्ह आदेश और नकार को णत्व। (ख) म = म्ह
उम्हा< ऊष्मा-म के स्थान पर म्ह तथा ऊ को हस्व । गिम्हो< ग्रीष्म:-5म को म्ह, संयुक्त रेफ का लोप और ईकार को हस्व । (ग ) स्म = म्ह
अम्हारिसो< अस्मादृशः-स्म के स्थान पर म्ह, दृश के स्थान पर रिस, विसर्ग को ओत्व।
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