________________
३१४
अभिनव प्राकृत-व्याकरण वाआअइ, वाआइ<वाच्यति-बात करने की इच्छा करता है। रायाअए, रायाए < राजायते-राजा के समान आचरण करता है। असनाअइ, असनाइ < अशनायति-खाने की इच्छा करता है । वाफ्फाअइ, वाप्फाइ< वाष्पायते-भाप निकलती है। नमाअइ, नमाइ< नमस्यति - नमस्कार करता है । पुत्तकामाअइ, पुत्तकामाइ< पुत्रकाम्यति-पुत्र की कामना करता है । जसकामाअइ, जसकामाइ< यशस्काम्यति-यश की इच्छा करता है। खीराअइ, खीराइ < क्षीरस्यति–दूध की इच्छा करता है। उअआइ, उअआअइ < उदकन्यति—पानी की प्यास है। वेराअइ-ए वेराइ-ए - वैरायते-वैर जैसा आचरण करता है, वैर करता है । कलहाअइ, कलहाइ ८ कलहायते-झगड़ता है। चवलाअइ, चवलाइ < चपलायते-चञ्चल होता है। करुणाअइ-ए, करुणाइ-ए करुणायते-करुणा करता है। सपन्नाअइ-ए, सपन्नाइ-ए< सपत्नायते-कलह करती-करता है। हरिआअइ, हरीअइ < हरितायति-हरा होता है। मेहाअइ-ए, मेहाइ-ए ८ मेघायते-वर्षा होती है। . दुम्माअइ-ए, दुम्माइ-ए < द्रुमायते-वृक्ष जैसा मालूम होता है ।