________________
३४४
अभिनव प्राकृत-व्याकरण
है,
आरोव आलक्ख आलभ आलिंप आलिह आली
आलुख
आलुंप आलोअ आलोड आलोव आव आवज्ज आवट्ट, आवत्त आवर आवस आवह आवा, आविअ आविंध आविस आविहव आवीड आवेअ आवेस आस आसंक आसव आसस आसाअ
आ + रुह, + रोपय् ऊपर चढ़ना अ + Vलक्षय
जानना I+Vलम
प्राप्त करना आ + लिप लीपना, पोतना आ + लिख विन्यास करना आ + Vली
लीन होला, आसक्त होना दह , स्पृश जलाना; स्पर्श करना आ + Vलुम्प
हरण करना आ + लोय
गुरु को अपना अपराध कहना आ + Vलोडय मन्थन करना, हिलोरना आ+Vलोपय आच्छादित करना आ + या
आना, आगमन करना आ+पद्
प्राप्त होना आ + Vवृत्
चक्र की तरह घूमना, परिभ्रमण करना आ+v
आच्छादन करना आ + Vवस
रहना, वास करना आ + वह
धारण करना, वहन करना आ + पा
पीना आ + Vव्य
विधना आ + विश् सम्बद्ध होना आविर + भू प्रकट होना आ+पीड् पीड़ा देना, दबाना आ + Vवेदय
निवेदन करना आ+ विशय भूताविष्ट करना आस
बैठना आ + शङ्क
सन्देह करना आ +
धीरे-धीरे झरना, टपकना आ + श्वस विनाम लेना आ + स्वाद् + सादय् स्वाद लेना; प्राप्त करना; + शातय
अवज्ञा करना आ + शास् , + श्वासय् आशा करना, आश्वासन देना आ + सेव
सेवन करना, पालन करना
आसास आसेव