________________
अभिनव प्राकृत-व्याकरण
२८५
क्रियातिपत्ति एकवचन
बहुवचन प्र० पु० गच्छेज्ज, गच्छेज्जा, गच्छेज्ज, गच्छेज्जा, गच्छन्तो,
गच्छन्तो, गच्छमाणो गच्छमाणो म० पु० " ". उ. पु० , ,
(२७) भविष्यत्काल में सुण (श्रु) के स्थान पर सोच्छ, सदू के स्थान पर रोच्छ, विद् के स्थान पर वेच्च, दृश् के स्थान पर दच्छ, मुच के स्थान पर मोच्छ, वच के स्थान पर वोच्छ, छिदू के स्थान पर छेच्छ, भिदू के स्थान पर भेच्छ, भुज के स्थान पर भोच्छ आदेश होता है तथा गच्छ धातु के समान रूप होते हैं।
.
"
बोल्ल, जंप, कह < कथ (कहना)-वर्तमान एकवचन
बहुवचन प्र० पु० बोल्लइ, बोल्लए बोल्लन्ति, बोल्लन्ते, बोल्लिरे म० पु० बोल्लसि, बोल्लसे बोलिलत्था, बोल्लह उ० पु० बोल्लामि, बोल्लमि बोलिलमो, बोल्लामो, बोल्लमो,
बोल्लिमु, बोल्लामु, बोल्लमु,
बोल्लिम, बोब्लाम, बोल्लम विशेष-एत्व हो जाने पर बोल्लेइ, बोल्लेन्ति इत्यादि रूप होते हैं ।
भविष्यत्काल एकवचन
बहुवचन प्र. पु० बोलिलहिइ, बोल्लिहिए बोलिलहिन्ति, बोलिहिन्ते, बोलिलहिरे म० पु० बोलिलहिसि, बोलिलहिसे बोलिलहित्था, बोलिहिह उ० पु० बोलिलस्सं, बोल्लिस्सामि, बोल्लिस्सामो, बोल्लिहामो, बोल्लिहिमो, बोलिलहामि, बोलिलहिमि बोल्लिस्सामु, बोल्लिहामु, बोलिहिम,
बोल्लिस्साम, बोल्लिहाम, बोल्लिहिम,
... -बोल्लहिस्सा, बोलिहित्था विशेष—एस्व होने से बोल्लेउ, बोल्लेन्तु आदि रूप होते हैं। विधि एवं आज्ञार्थ रूप पूर्ववत् होते हैं.। ...----