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(ण) त्म= प्प -
अप्पा
अप्पाणो आत्मानः —
आत्मात्म के स्थान पर प्प |
( त ) म्र = म्ब
अभिनव प्राकृत-व्याकरण
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= भ्म
अब < आम्रम् - म्र के स्थान पर म्ब |
तंबं <ताम्रम् —
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( थ ) ह्म
बम्भणो ब्राह्मण:--ह्म के स्थान पर म्भ | बंभचेरं ब्रह्मचर्यम्
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( द ) क्ष, ख, र्थ, र्घ, र्ष, प्य और ष्म = ६दाहिणो दक्षिण:-क्ष के स्थान पर ह ।
दुहं दुःखम् -- ख के स्थान पर ह ।
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तूहं तीर्थम् — के स्थान पर ह । दीहो दीर्घः - के स्थान पर ह । काहावणो कार्षापणः – र्ष के स्थान पर ह । वाहो वाष्पः - प के स्थान पर ह । कोहण्डी कुष्माण्डी—ष्म के स्थान पर ह । कोहण्डं कुष्माण्डम् -
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( ६३ ) निम्न वर्गों को प्राकृत में द्वित्व हो जाता है।
केलं, कयलं 4 कदलम् । चोग्गुणो चतुर्गुणः । चोत्थी, चउत्थी < चतुर्थी ।
उज्जू ऋजु :- ज को द्वित्व | तेल्लं तैलम् -ल को द्वित्व । पेम्मं प्रेम-म को द्वित्व | विड्डाव्रीडा- -ड को द्वित्व | कण्णिआरो कर्णिकारः - ण को द्वित्व | को उहलं — कुतूहलं -ल को द्वित्व ।
बहुत्तं प्रभूतम्- -त को द्वित्व । मंडूक्को मण्डूकः - क को द्वित्व | एक्को
एकः - क को द्वित्व |
तुहिको तूष्णीकः - क को द्वित्व | नक्खो इव्यो दैवः - को द्वित्व |
नखः – ख को द्वित्व । नेडुंनीडम्ड को द्वित्व ।
मुक्को मूकः क को द्वित्व |
जोव्वणं यौवनम् — व को द्वित्व ।
( ६४ ) निम्न शब्दों में अनियमतः परिवर्तन होते हैं
अच्छअरं, अच्छरिअं, अच्छ्ररिज्जं, अच्छरीअं आश्चर्यम् ।
कोहलं कुतूहलम् । चोत्थो, चउत्थो चतुर्थः । चोद्दह, चउद्दह चतुर्दश ।
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