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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
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( २४ ) सम्बोधन एकवचन में प्रकारान्त शब्दों के अन्तिम के स्थान पर विकल्प से अ आदेश होता है। पर जो ऋकारान्त शब्द विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है, उसके स्थान पर यह नियम लागू नहीं होता। अकारान्त शब्दों में सु विभक्ति के परे विकल्प से 'आ' आदेश होता है । .
( २६ ) पितृ, भ्रातृ और जामातृ शब्दों से पर में किसी भी विभक्ति के आने पर प्रकार के स्थान में भार आदेश न होकर अर आदेश होता है । अर आदेश होने पर भी रूप अकारान्त के समान ही चलते हैं।
(२६ ) प्रथमा एकवचन में अकारान्त शब्दों के ऋ के स्थान पर विकल्प से आ आदेश होता है।
(२७) अकारान्त होने पर ऋकारन्त शब्दों के रूप अकारान्त जिण के समान और उकारान्त हो जाने पर 'भाणु' के समान होते हैं। विभक्तिचिह्न भी अकारान्त और उकारान्त शब्दों के समान ही जोड़े जाते हैं।
ऋकारान्त कत शब्द--कत्तार और कत्त एकवचन
बहुवचन प०-कत्ता, कत्तारो
कत्तारा, कत्तवो, कत्तओ, कत्तउ,
कत्तुणो, कत्तू बी० कत्तारं
कत्तारे, कत्तारा, कत्तुणो, कत्तू त०-कत्तारेण, कत्तारेणं, कत्तुणा कत्तारेहि, कत्तारेहि", कत्तारेहि, कत्तहि,
कत्तूहि, कत्तूहि च०-कत्ताराय, कत्तारस्स, कत्तुणो, कत्ताराण, कत्ताराणं, कत्तूण, कत्तूणं
पं०-कत्तारत्तो, कत्ताराओ, कत्ताराउ, कत्तारत्तो, कत्ताराओ, कत्ताराउ,
कत्ताराहि, कत्ताराहितो, कत्तारा, कत्ताराहि, कत्ताराहितो, कत्तारासुतो, कत्तुणो, कत्तुत्तो, कत्तुओ, कत्तूउ, कत्तारेहि, कत्तारेहितो, कत्तारेसुतो, कत्तूहितो
कत्तुत्तो, कत्तुओ, कत्तूड, कत्तूहिन्तो,
कत्तसुन्तो छ०-कत्तारस्स, कत्तणो, कत्तुस्स कत्ताराण, कत्ताराणं, कत्तूण, कत्तूणं स-कतारे, कत्तारम्मि, कत्तुम्मि कत्तारेसु, कत्तारेसु, कत्तूसु, कतूमुं सं०-हे कत्त, हे कत्तारो हे कत्तारा, हे कत्तवो, हे कत्तओ, हे कत्तउ,
कत्तणो, कत्त १. ऋतोद्वा ८।३।३६ हे० ।
२.प्रा सौ न वा ८।३।४८. हे० । ३. पितृभ्रातृजामातुणामर: ५।३४. वर०। ४. पाच सौ ५॥३५. वर० ।