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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
' ११९ (घ) म = अनुनासिक-निम्न शब्दों में मु के मकार का लोप हो जाता है और शेष स्वर उ के स्थान में अनुनासिक ऊँ हो जाता है।
अणिऊँतयं अतिमुक्तम्-मकार का लोप और शेष स्वर उ को अनुनासिक ॐ। काउँओ< कामुकः-मकार का लोप और शेष स्वर उ को अनुनासिक ॐ । चाउँडा< चामुण्डा- , जउँणा < यमुना- ,
(२९) संस्कृत के य वर्ण का प्राकृत में आह, ज, ज, त, ल, व और ह में परिवर्तन होता है।
( क ) य = आह___कइवाह - कतिपयम्-तकार का लोप, इ स्वर शेष, प के स्थान में व और य को आह । (ख) य = ज
उत्तरिजं< उत्तरीयम्-री को ह्रस्व और य को ज ।
तइज्जोर तृतीय:-तकारोत्तर ऋकार को अ, त का लोप और शेष स्वर ई को हस्त्र और य को ज।
विइज्जो< द्वितीयः-- संयुक्त द का लोप, मध्यवर्ती त का लोप, शेष स्वर ई को हस्व, य को ज ।
(ग) य = ज-संस्कृत शब्दों में आदि में आनेवाला य प्राकृत में ज में बदल जाता है।
जमो< यमः—य के स्थान पर ज, विसर्ग को ओत्व ।। जसो< यश:- , तालव्य श को दन्त्य स और विसर्ग को ओत्व ।
जाइ< याति–य को ज, त का लोप और इ स्वर शेष । (घ) य% त
तुम्हकेरो< युष्मदीयः-युष्मद् के स्थान पर तुम्ह और ईय को केर । तुम्हारिसोयुष्माश:-युष्मद् के स्थान पर तुम्ह और दृश के स्थान पर रिस।
तुम्ह - युष्मद्-युष्मद् के स्थान पर तुम्ह। (ङ) य = ल
लट्ठी< यष्टिः-य के स्थान पर ल, संयुक्त पू का लोप, ट का द्वित्व और द्वितीय. अल्पप्राण को महाप्राण, इकार को दीर्घ । (च) यव
कइअवंद कतिपयम्-त का लोप और इ स्वर शेष, प का लोप और अ स्वर शेष तथा ५ का व।