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अभिनव प्राकृत-व्याकरण
१२१ थूलो-स्थूरः-संयुक्त स का लोप और र कोल।
थूलभद्दो, स्थूरभद्रः-संयुक्त स का लोप, र को ल, संयुक्त र का लोप तथा द को द्वित्व।
हलिदो ८ हरिद्रः-र को ल, संयुक्त रेफ का लोप और द को द्वित्व । हलिदा< हरिद्रा-, जढलं, जढरं< जठरम्-ठ को ढ और र को विकल्प से ल।
निठुलो, निट ठुरो< निष्ठुरः-संयुक्त ष का लोप, ट को द्वित्व द्वितीय अल्पप्राण को महाप्राण और र को ल।
(३१) संस्कृत का ल वर्ण प्राकृत में ण और र में परिवर्तित होता है। (क) णडालं, णिडालं < ललाटम्-ल के स्थान पर ण, ट को ड, वर्ण व्यत्यय होने से णडालम् , अकार को इत्व होने से णिडालं ।।
णंगलं, लंगलं < लाङ्गलम् -ल को ग तथा हस्व। .
णाहलो, लाहलो< लाहल:-ल को ण । (ख) ल = र
थोरं स्थूलम् – संयुक्त स का लोप, ऊकार को ओत्व, र को ल।
( ३२ ) संस्कृत के व वर्ण का प्राकृत में भ और म में परिवर्तन होता है । ( क ) व = भ
भिन्भलो, विब्भलो, विहलो विह्वल:-व के स्थान पर भ। (ख ) व = म
समरोरशवर:-तालव्य श के स्थान पर दन्त्य स, व को म ।
वेसमणोद वैश्रवण:-ऐकार को एकार, संयुक्त रेफ का लोप, तालव्य श को दन्त्य स, व को म और विसर्ग को ओस्व ।
नीमीनीवी-व के स्थान पर म ।
सिमिणो स्वप्न:- संयुक्त वर्णों का पृथक्करण, इकारागम और व को म तथा न को गत्व।
( ३३ ) संस्कृत के श वर्ण का छ, स और ह में परिवर्तन होता है । (क) शछ
छमी शमी
छिरादशिरा
छावोदशाव: (ख)श स
कुसोर कुशः--श को स! दस-दश